सहारा न देती अगर मौजे-तूफां,
डुबो ही दिया था हमें नाखुदा ने।
-मकीन अहसन कलीम
डुबो ही दिया था हमें नाखुदा ने।
-मकीन अहसन कलीम
SAAJANN
27-12-2012, 05:40 PM
सारी दुनिया के हैं वह मेरे सिवाय,
मैंने दुनिया छोड़ दी जिनके लिये।
-अमीर 'मीनाई'
मैंने दुनिया छोड़ दी जिनके लिये।
-अमीर 'मीनाई'
SAAJANN
27-12-2012, 05:41 PM
सितम है लाश पर उस बेवफा का यह कहना,
कि आने का भी न किसी ने इन्तिजार किया।
-'अजीज' लखनवी
कि आने का भी न किसी ने इन्तिजार किया।
-'अजीज' लखनवी
SAAJANN
27-12-2012, 05:42 PM
सितम को हम करम समझे, जफा को हम वफा समझे,
जो इस पर भी न समझे वह तो उस बुत को खुदा समझे।
अब्राहम 'जौक'
जो इस पर भी न समझे वह तो उस बुत को खुदा समझे।
अब्राहम 'जौक'
SAAJANN
27-12-2012, 05:43 PM
हमको उनसे वफा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफा कया है।
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।
-मिर्जा गालिब
जो नहीं जानते वफा कया है।
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।
-मिर्जा गालिब
SAAJANN
27-12-2012, 05:44 PM
हमसे क्या हो सका मुहब्बत में,
तुमने तो खैर बेवफाई की।
-'फिराक' गोरखपुरी
तुमने तो खैर बेवफाई की।
-'फिराक' गोरखपुरी
SAAJANN
27-12-2012, 05:44 PM
हमीं से सीखकर चालें,
हमीं पै वार करते हैं।
हमीं पै वार करते हैं।
SAAJANN
27-12-2012, 05:45 PM
हमें कुछ काम अपने दोस्तों से आ पड़ा यानी,
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक्त आया।
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक्त आया।
SAAJANN
27-12-2012, 05:47 PM
हुए जिस पै मेहरबाँ तुम कोई खुशनसीब होगा,
मेरी हसरतें तो निकलीं मेरे आंसुओं में ढलकर।
-एहसन दानिश
मेरी हसरतें तो निकलीं मेरे आंसुओं में ढलकर।
-एहसन दानिश
ajaythegoodguy
27-12-2012, 06:36 PM
हमने उस ज़मीन को चूमा जहाँ उनके कदम पड़े...
और वो बेवफा मेरी माँ से आकार बोली .."काकी थारो छोरो माटी खावे है "
और वो बेवफा मेरी माँ से आकार बोली .."काकी थारो छोरो माटी खावे है "
simply_deep
27-12-2012, 07:15 PM
किस ज़ालिम अदा से वो अपना बिस्तर छोडती होगी।
खुली जुल्फें,बंद होंट,उल्झी सांसें,और गजब की अंगड़ाईयाँ..
खुली जुल्फें,बंद होंट,उल्झी सांसें,और गजब की अंगड़ाईयाँ..
simply_deep
27-12-2012, 07:18 PM
दिल जलाने की अदा तुम्हारी अब तक नहीं गई।
फूल भी अब तुम साथ वाली कब्र पर रख जाते हो।।
फूल भी अब तुम साथ वाली कब्र पर रख जाते हो।।
simply_deep
27-12-2012, 07:23 PM
कर के बेचैन मुझे उसका भी बुरा हाल हुआ।
उसकी जुल्फें भी ना सुलझी मेरी उलझन की तरह।।
उसकी जुल्फें भी ना सुलझी मेरी उलझन की तरह।।
SAAJANN
28-12-2012, 11:11 AM
हो वफा जिसमें वह माशूक कहाँ से लाऊँ,
है यह मुश्किल कि हसीं हो, सितमजाद न हो।
है यह मुश्किल कि हसीं हो, सितमजाद न हो।
SAAJANN
28-12-2012, 11:12 AM
होता है जिस जगह मेरी बर्बादियों का जिक्र,
तेरा भी नाम लेती है दुनिया कभी-कभी।
तेरा भी नाम लेती है दुनिया कभी-कभी।
SAAJANN
28-12-2012, 11:13 AM
अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
-निहाल सेहरारवी
1.फर्जे-गोयाई - बात करने या बोलने का फर्ज
2.शौके-बयां - चाहत का बयान करना
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
-निहाल सेहरारवी
1.फर्जे-गोयाई - बात करने या बोलने का फर्ज
2.शौके-बयां - चाहत का बयान करना
SAAJANN
28-12-2012, 11:14 AM
इन्ही में खींचकर रूहे-मुहब्बत मैने भरे हैं,
मेरा अश्यार देखेंगे मेरा दिल देखने वाले।
-जिगर मुरादाबादी
मेरा अश्यार देखेंगे मेरा दिल देखने वाले।
-जिगर मुरादाबादी
SAAJANN
28-12-2012, 11:16 AM
कुदरत को नापसंद है सख्ती बयान में,
पैदा हुई न इस लिये हड्डी जबान में।
पैदा हुई न इस लिये हड्डी जबान में।
SAAJANN
28-12-2012, 11:18 AM
तवारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने देखे है,
कि लम्हों ने खता की थी, और सदियों ने सजा पाई।
1. तवारीख - इतिहास
कि लम्हों ने खता की थी, और सदियों ने सजा पाई।
1. तवारीख - इतिहास
SAAJANN
28-12-2012, 11:25 AM
बदल डाला है अब तो अंदाजे - बयां हमने,
बगरना बंद कर दी थी फरिश्तों की जुबाँ हमने।
बगरना बंद कर दी थी फरिश्तों की जुबाँ हमने।
SAAJANN
28-12-2012, 11:26 AM
मेरे अश्यारे-दिलकश को जगह दे अपने पहलू में,
कि ये नगमें तेरे सच्चे रफीके - जिन्दगी होंगे।
-फिराक गोरखपुरी
कि ये नगमें तेरे सच्चे रफीके - जिन्दगी होंगे।
-फिराक गोरखपुरी
SAAJANN
28-12-2012, 11:27 AM
सुनो तो अर्ज करें मान लो तो क्या कहना,
तुम्हारे पास हम आये थे इक जरूरत से।
तुम्हारे पास हम आये थे इक जरूरत से।
SAAJANN
28-12-2012, 11:28 AM
हम सहने-गुलिस्ताँ में अक्सर, यह बात भी सोचा करते हैं,
यह आंसू है किन आंखों के फूलों पै जो बरसा करते हैं।
यह आंसू है किन आंखों के फूलों पै जो बरसा करते हैं।
SAAJANN
28-12-2012, 11:32 AM
हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि 'गालिब' का है अन्दाजे-बयां और।
-मिर्जा गालिब
1.सुखनवर - शायर
कहते हैं कि 'गालिब' का है अन्दाजे-बयां और।
-मिर्जा गालिब
1.सुखनवर - शायर
SAAJANN
28-12-2012, 11:35 AM
अदा परियों की, सूरत हूर की, आंखें गिजालों की,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
-हाफिज जौनपुरी
गिजाल - हिरण का बच्चा,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
-हाफिज जौनपुरी
गिजाल - हिरण का बच्चा,
SAAJANN
28-12-2012, 05:31 PM
असर न पूछिए साकी की मस्त आंखों का,
यह देखिये कि कोई होशमंद बाकी है।
-हफीज जौनपुरी
यह देखिये कि कोई होशमंद बाकी है।
-हफीज जौनपुरी
SAAJANN
28-12-2012, 05:32 PM
आँखों से हाल पूछा दिल का,
एक बूंद टपक पड़ी लहू की।
-मीरतकी 'मीर'
एक बूंद टपक पड़ी लहू की।
-मीरतकी 'मीर'
SAAJANN
28-12-2012, 05:33 PM
उन आंखों की हालत कुछ ऐसी है,
जैसे उठे मैकदे से कोई चूर होकर।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
जैसे उठे मैकदे से कोई चूर होकर।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
SAAJANN
28-12-2012, 05:34 PM
उस घड़ी देखो उसका आलम,
नींद में जब हो आंख भारी।
-असर लखनवी
1. आलम - स्थिति,
नींद में जब हो आंख भारी।
-असर लखनवी
1. आलम - स्थिति,
SAAJANN
28-12-2012, 05:34 PM
एक-सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो -इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है,ये दिल में हैं।
-'जलाल' लखनवी
फर्क बस इतना है वो आंखों में है,ये दिल में हैं।
-'जलाल' लखनवी
SAAJANN
28-12-2012, 05:35 PM
क्या पूछते हो शोख निगाहों का माजरा,
दो तीर थे जो मेरे जिगर में उतर गये।
-दिल शाहजहाँपुरी
दो तीर थे जो मेरे जिगर में उतर गये।
-दिल शाहजहाँपुरी
SAAJANN
28-12-2012, 05:38 PM
करने का नहीं कद्र कोई इससे जियादा,
रखता हूँ कलेजे में तेरे तीरे-नीमकश को।
-बिस्मिल
1.तीरे-नीमकश - वह तीर, जो घाव में आधा खींचकर छोड़ दिया गया है।
रखता हूँ कलेजे में तेरे तीरे-नीमकश को।
-बिस्मिल
1.तीरे-नीमकश - वह तीर, जो घाव में आधा खींचकर छोड़ दिया गया है।
SAAJANN
28-12-2012, 05:38 PM
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
-मजाज लखनवी
कुछ मुझे भी खराब होना था।
-मजाज लखनवी
SAAJANN
28-12-2012, 05:39 PM
कुछ नहीं कहती निगाहें मगर,
मगर बात पहुँची है कहाँ से कहाँ।
-'फिराक' गोरखपुरी
मगर बात पहुँची है कहाँ से कहाँ।
-'फिराक' गोरखपुरी
SAAJANN
28-12-2012, 05:40 PM
कुछ निगाहों से पिला साकी,
हमको नश्शा-ए-पाईदार चाहिए।
1. नश्शा-ए-पाईदार – देर तक रहने वाला
हमको नश्शा-ए-पाईदार चाहिए।
1. नश्शा-ए-पाईदार – देर तक रहने वाला
SAAJANN
28-12-2012, 05:41 PM
कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीरे-नीमकश को,
ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता।
-मिर्जा 'गालिब'
ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता।
-मिर्जा 'गालिब'
SAAJANN
28-12-2012, 05:41 PM
खिलना कम, कम कली ने सीखा है,
तेरी आंखों की नीमबाजी से।
-मीरतकी मीर
1.नीमबाजी - आँख का आधा खुला हुआ होना यानी उनका नशीलापन
तेरी आंखों की नीमबाजी से।
-मीरतकी मीर
1.नीमबाजी - आँख का आधा खुला हुआ होना यानी उनका नशीलापन
SAAJANN
28-12-2012, 05:42 PM
चारासाजों! तुम पहले उनकी नजर को देखो,
फिर मेरे दिल को देखो, मेरे जिगर को देखो।
-'दिल' शाहजहाँपुरी
1.चारासाज - चिकित्सक
फिर मेरे दिल को देखो, मेरे जिगर को देखो।
-'दिल' शाहजहाँपुरी
1.चारासाज - चिकित्सक
SAAJANN
28-12-2012, 05:42 PM
चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को
-'जलील' मानिकपुरी
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को
-'जलील' मानिकपुरी
SAAJANN
28-12-2012, 05:43 PM
छलकता भी रहे हमदम, रहे लबरेज भी साकी,
तेरी आंखों के सद्के हमने वो भी जाम देखे हैं।
तेरी आंखों के सद्के हमने वो भी जाम देखे हैं।
SAAJANN
28-12-2012, 05:44 PM
जब मिली आंख होश खो बैठे,
कितने हाजिरजवाब हैं हम लोग।
-'असर' लखनवी
कितने हाजिरजवाब हैं हम लोग।
-'असर' लखनवी
SAAJANN
28-12-2012, 05:44 PM
जाहिद उन आंखों की टपकती हुई मस्ती,
पत्थर में गढ्ढा डाल के पैमाना बना दें।
-'आर्जू' लखनवी
पत्थर में गढ्ढा डाल के पैमाना बना दें।
-'आर्जू' लखनवी
SAAJANN
28-12-2012, 05:45 PM
जिस तरह इक नसीम को झोंका डाल देता है झील में हलचल,
यूँ तेरी निगाह ने इस वक्त कर दिया है मेरी रूह को बेकल।
-'अख्तर' अंसारी
1.नसीम - धीमी हवा
यूँ तेरी निगाह ने इस वक्त कर दिया है मेरी रूह को बेकल।
-'अख्तर' अंसारी
1.नसीम - धीमी हवा
SAAJANN
28-12-2012, 05:49 PM
जीना भी आ गया, मुझे मरना भी आ गया,
पहचानने लगा हूँ, तुम्हारी नजर को मैं।
पहचानने लगा हूँ, तुम्हारी नजर को मैं।
SAAJANN
28-12-2012, 05:51 PM
तिरछी नजर का तीर है मुश्किल से निकलेगा,
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।
-'फानी' बदायुनी
दिल उसके साथ निकलेगा, अगर ये दिल से निकलेगा।
-'फानी' बदायुनी
SAAJANN
28-12-2012, 05:52 PM
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
-'कतील' शिफाई
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
-'कतील' शिफाई
SAAJANN
28-12-2012, 05:52 PM
तेरा ये तीरे-नीमकश दिल के लिए अजाब है,
या इसे दिल से खींच ले या दिल के पार कर।
या इसे दिल से खींच ले या दिल के पार कर।
SAAJANN
28-12-2012, 05:53 PM
तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैंने
फिर न होश का दावा किया कभी भी मैंने
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी
निगाहे - यार से पाई है जिन्दगी मैंने।
फिर न होश का दावा किया कभी भी मैंने
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी
निगाहे - यार से पाई है जिन्दगी मैंने।
SAAJANN
28-12-2012, 05:53 PM
तेरी निगाह ने क्या कह दिया खुदा जाने,
उलट कर रख दिये बादाकाशों ने पैमाने।
1.बादाकश – शराबी
उलट कर रख दिये बादाकाशों ने पैमाने।
1.बादाकश – शराबी
SAAJANN
28-12-2012, 05:54 PM
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं।
-'खुमार' बाराबंकवी
1.साकी - शराब पिलाने वाली
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं।
-'खुमार' बाराबंकवी
1.साकी - शराब पिलाने वाली
SAAJANN
28-12-2012, 05:55 PM
दीवानावार दौड़ के कोई लिपट न जाये,
आंखों में आंखें डालकर देखा न कीजिए
आंखों में आंखें डालकर देखा न कीजिए
SAAJANN
28-12-2012, 05:55 PM
देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
-'शाद' अजीमाबादी
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
-'शाद' अजीमाबादी
SAAJANN
28-12-2012, 05:56 PM
देखा है मेरी नजरों ने, एक रंग छलकते पैमाने का,
यूँ खुलती है आंख किसी की, जैसे खुले दर मैखाने का।
यूँ खुलती है आंख किसी की, जैसे खुले दर मैखाने का।
SAAJANN
28-12-2012, 05:57 PM
देखो न आंखें भरकर किसी के तरफ कभी,
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
-'असर' लखनवी
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
-'असर' लखनवी
SAAJANN
28-12-2012, 05:58 PM
नजर जिसकी तरफ करके निगाहें फेर लेते हो,
कयामत तक उस दिल की परेशानी नहीं जाती।
-आनन्द नारायण 'मुल्ला'
कयामत तक उस दिल की परेशानी नहीं जाती।
-आनन्द नारायण 'मुल्ला'
SAAJANN
28-12-2012, 05:58 PM
निगाहे-मस्त से मुझको पिलाये जा साकी,
हसीं निगाह भी जामे-शराब होती है।
-सामर अजमेरी
हसीं निगाह भी जामे-शराब होती है।
-सामर अजमेरी
SAAJANN
28-12-2012, 05:59 PM
निगाहे-लुत्फ से इकबार मुझको देख लेते है,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
1.निगाहे-लुत्फ - कृपादष्टि,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
1.निगाहे-लुत्फ - कृपादष्टि,
SAAJANN
28-12-2012, 06:00 PM
पीते-पीते जब भी आया तेरी आंखों का खयाल,
मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत।
मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत।
SAAJANN
28-12-2012, 06:01 PM
पैगाम लिया है कभी पैगाम दिया है,
आंखों ने मुहब्बत में बड़ा काम किया है।
आंखों ने मुहब्बत में बड़ा काम किया है।
SAAJANN
28-12-2012, 06:01 PM
फिर न कीजे मेरी गुस्ताख निगाहों का गिला,
देखिये आपने ने फिर प्यार से देखा मुझको।
-'साहिर' लुधियानवी
देखिये आपने ने फिर प्यार से देखा मुझको।
-'साहिर' लुधियानवी
SAAJANN
28-12-2012, 06:02 PM
बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर,
मरीजे-गम की हालत सुधर तो सकती है
1.लतीफ - कोमल,
2.तबस्सुम - मुस्कान,
मरीजे-गम की हालत सुधर तो सकती है
1.लतीफ - कोमल,
2.तबस्सुम - मुस्कान,
SAAJANN
28-12-2012, 06:03 PM
बात करने में फूल झड़ते हैं, बर्क गिरती है मुस्कराने में,
नजरें जैसे फराखदिल साकी खुम, लुढाये मैखाने में।
-'अख्तर' अंसारी
1.बर्क - बिजली, 2.फराखदिल - दिल खोलकर खाने-खिलाने या पीने-पिलाने वाला, दरियादिल 3.खुम - शराब रखने का मटका
नजरें जैसे फराखदिल साकी खुम, लुढाये मैखाने में।
-'अख्तर' अंसारी
1.बर्क - बिजली, 2.फराखदिल - दिल खोलकर खाने-खिलाने या पीने-पिलाने वाला, दरियादिल 3.खुम - शराब रखने का मटका
anita
30-12-2012, 01:36 AM
चाँद सा मिसरा अकेला है मेरे कागज पे
छत पे आ जाओ मेरा शेर मुक्कमल कर दो
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
छत पे आ जाओ मेरा शेर मुक्कमल कर दो
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
anita
30-12-2012, 01:36 AM
अभी इस तरफ़ न निगाह कर मैं ग़ज़ल की पलकें सँवार लूँ
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना तुझे आईने में उतार लूँ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
anita
30-12-2012, 01:37 AM
मैं तमाम दिन का थका हुआ, तू तमाम शब का जगा हुआ
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
SAAJANN
30-12-2012, 06:58 PM
अच्छी पंक्तियाँ है अनीता जी शुक्रिया
anita
30-12-2012, 08:35 PM
अच्छी पंक्तियाँ है अनीता जी शुक्रिया
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद
SAAJANN
31-12-2012, 02:43 PM
मस्त आंखों पर घनी पलकों की छाया यूँ थी,
जैसे कि हो मैखाने पर घरघोर घटा छाई हुई।
असर' लखनवी
जैसे कि हो मैखाने पर घरघोर घटा छाई हुई।
असर' लखनवी
SAAJANN
01-01-2013, 10:31 AM
मस्ती निगाहे-नाज की कैफे-शबाब में,
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
SAAJANN
01-01-2013, 10:32 AM
'मीर' इन नीमबाज आंखों में सारी मस्ती शराब की-सी है,
खिलना कम-कम कली ने सीखा है तेरी आंखों की नीमबाजी है।
-मीरतकी मीर
1. नीमबाज - नशीली आँख
2.नीमबाजी - अधखुलापन
खिलना कम-कम कली ने सीखा है तेरी आंखों की नीमबाजी है।
-मीरतकी मीर
1. नीमबाज - नशीली आँख
2.नीमबाजी - अधखुलापन
SAAJANN
01-01-2013, 10:34 AM
मुखातिब हैं साकी की मख्मूर नजरें,
मेरे जर्फ का इम्तिहाँ हो रहा है।
मख्मूर - नशीली,
जर्फ - सहन-शक्ति,
मेरे जर्फ का इम्तिहाँ हो रहा है।
मख्मूर - नशीली,
जर्फ - सहन-शक्ति,
SAAJANN
01-01-2013, 10:35 AM
मुझे जिस दम खयाले-नर्गिसे-मस्ताना आता है,
बड़ी मुश्किल से काबू में दिले-दीवाना आता है।
बड़ी मुश्किल से काबू में दिले-दीवाना आता है।
SAAJANN
01-01-2013, 10:39 AM
मैकदे लाख बंद करें जमाने वाले,
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।
SAAJANN
01-01-2013, 10:40 AM
मैं उम्र भर 'अदम' न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
SAAJANN
01-01-2013, 10:40 AM
मैंने पी ली तेरी निगाहों से,
लोग कैसी शराब लाये हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
लोग कैसी शराब लाये हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
SAAJANN
01-01-2013, 10:42 AM
यह दिलफरेब तबस्सुम, यह मस्त मस्त नजर,
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
SAAJANN
01-01-2013, 10:43 AM
यह बात, यह तबस्सुम, यह नाज, यह निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओं क्यों कर न तुमको चाहे।
आखिर तुम्हीं बताओं क्यों कर न तुमको चाहे।
SAAJANN
01-01-2013, 10:49 AM
यह मुस्कुराती हुई आंखें जिनमें रक्स करती है बहार,
शफक की, गुल की, बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।
फिराक' गोरखपुरी
शफक की, गुल की, बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।
फिराक' गोरखपुरी
SAAJANN
01-01-2013, 10:50 AM
यह साकी ने सागर में क्या चीज दे दी,
कि तौबा हुई पानी - पानी हमारी।
-रियाज खैराबादी
सागर - शराब पीने का पियाला
कि तौबा हुई पानी - पानी हमारी।
-रियाज खैराबादी
सागर - शराब पीने का पियाला
SAAJANN
02-01-2013, 01:16 PM
रह गये लाखों कलेजा थामकर,
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई।
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई।
SAAJANN
02-01-2013, 01:17 PM
रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आंखे भी शराबी थी,
फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।
-नरेश कुमार 'शाद'
फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।
-नरेश कुमार 'शाद'
SAAJANN
02-01-2013, 01:20 PM
वह आड़ में पर्दे के तेरी नीमनिगाही
टूटे हुए तीर का इक टुकड़ा है जिगर में।
1.नीमनिगाही - कनखियों से देखना
टूटे हुए तीर का इक टुकड़ा है जिगर में।
1.नीमनिगाही - कनखियों से देखना
SAAJANN
02-01-2013, 01:23 PM
वह नजर उठ गई जब सरे-मैकदा,
खुद -ब-खुद जाम से जाम टकरा गये।
खुद -ब-खुद जाम से जाम टकरा गये।
SAAJANN
02-01-2013, 01:24 PM
शामिल है इसमें तेरी नजर के सरूर भी,
पीने न दूँगा गैर को मैं अपने जाम से।
-'शकील' बदायुनी
पीने न दूँगा गैर को मैं अपने जाम से।
-'शकील' बदायुनी
SAAJANN
02-01-2013, 01:25 PM
साकी तेरे निगाह की क्या सियाहकारियाँ हैं
मैख्वार होश में हैं , जाहिद बहक रहा है।
मैख्वार होश में हैं , जाहिद बहक रहा है।
SAAJANN
02-01-2013, 01:27 PM
सौ तीर जमाने का इक तीरे - नजर तेरा,
अब क्या कोई समझेगा, दिल किसका निशाना है?
अब क्या कोई समझेगा, दिल किसका निशाना है?
SAAJANN
02-01-2013, 01:27 PM
सौ-सौ उम्मीदें बंधती है, इक-इक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
-इकबाल
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
-इकबाल
SAAJANN
02-01-2013, 01:28 PM
हट गई नजरों से नजरें मैकदा-सा लुट गया,
मिल गई नजरों से नजरें, मैकशी होने लगी।
मिल गई नजरों से नजरें, मैकशी होने लगी।
SAAJANN
02-01-2013, 01:28 PM
होता है राजे-इश्को-मुहब्बत इन्हीं से फाश,
आंखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।
आंखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।
simply_deep
02-01-2013, 01:31 PM
जो हो इजाज़त तो तुम से एक बात पूछूं..
जो हमसे इश्क सिखा था वो अब किस से करते हो..
जो हमसे इश्क सिखा था वो अब किस से करते हो..
simply_deep
02-01-2013, 01:33 PM
आ मिल कर गला घोंट दें...
मैं मोहब्बत ढूंढ लाया हूँ...
मैं मोहब्बत ढूंढ लाया हूँ...
anita
03-01-2013, 10:49 PM
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
anita
03-01-2013, 10:56 PM
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
वसीम बरेलवी
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
वसीम बरेलवी
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
anita
03-01-2013, 11:01 PM
कर्ज गम का चुकाना पड़ा है,
रोके भी मुस्कुराना पड़ा है
सच को सच कह दिया था इसी पर
मेरे पीछे जमाना पड़ा है।
इक खुदा के न आगे झुके तो
दरबदर सर झुकाना पड़ा है
तुझको अपना बनाने की खातिर
सबको अपना बनाना पड़ा है।
क्या बताएं कि किन मुश्किलों में
जिंदगी को निभाना पड़ा है।
संगदिल जो है मशहूर नुजहत
शेर उनको सुनाना पड़ा है।
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
रोके भी मुस्कुराना पड़ा है
सच को सच कह दिया था इसी पर
मेरे पीछे जमाना पड़ा है।
इक खुदा के न आगे झुके तो
दरबदर सर झुकाना पड़ा है
तुझको अपना बनाने की खातिर
सबको अपना बनाना पड़ा है।
क्या बताएं कि किन मुश्किलों में
जिंदगी को निभाना पड़ा है।
संगदिल जो है मशहूर नुजहत
शेर उनको सुनाना पड़ा है।
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
anita
03-01-2013, 11:06 PM
इस तरह मेरी तरफ मेरा मसीहा देखे
दर्द दिल में ही रहे और दवा हो जाए
जिंदगी को मिले कोई हुनर ऐसा भी
सबमे मौजूद भी हो और फना हो जाए
मौजूजा काश दिखा दे ये निगाहें मेरी
लफ्ज खामोश रहें बात अदा हो जाए
इस तरह जुर्म के अहसास को बेदार करो
जिस्म आजाद रहे और सजा हो जाए
उस को मैं देखूं तो इस तरह से देखूं नुजहत
शर्म आंखों में रहे और खता हो जाए
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
दर्द दिल में ही रहे और दवा हो जाए
जिंदगी को मिले कोई हुनर ऐसा भी
सबमे मौजूद भी हो और फना हो जाए
मौजूजा काश दिखा दे ये निगाहें मेरी
लफ्ज खामोश रहें बात अदा हो जाए
इस तरह जुर्म के अहसास को बेदार करो
जिस्म आजाद रहे और सजा हो जाए
उस को मैं देखूं तो इस तरह से देखूं नुजहत
शर्म आंखों में रहे और खता हो जाए
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
mr singh
04-01-2013, 03:34 AM
तंग आ गये कश्म्क्शे जिंदगी से हम ...ठुकरा ना दे जहान तो कही बेबसी से ह्म....... लो आज हमने छोर्र्ह दिया रिश्ता ए उमीद........ लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम ........ पर जिंदगी मे मिल गये इत्तेफ़ाक से........... पुछेगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम...
SAAJANN
04-01-2013, 10:47 AM
अदा आई, जफा आई, गरूर आया, इताब आया,
हजारों आफतें लेकर हसीनों का शबाब आया।
हजारों आफतें लेकर हसीनों का शबाब आया।
SAAJANN
04-01-2013, 10:48 AM
अदा परियों की, सूरत हूर की, आंखें गिजालों की,
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
गरज माँगे कि हर इक चीज हैं इन हुस्न वालों की।
SAAJANN
04-01-2013, 10:49 AM
अनमोल सजावट है, यह अनमोल हंसी भी,
बाजार में ऐसा कोई जेवर न मिलेगा।
बाजार में ऐसा कोई जेवर न मिलेगा।
SAAJANN
04-01-2013, 10:49 AM
अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वह,
और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं।
और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं।
umabua
08-01-2013, 08:24 PM
अब भला छोड़ के घर क्या करते
शाम के वक्त सफ़र क्या करते
इश्क ने सारे सलीके बख्शे
हुस्न से कस्बेहुनर क्या करते
शाम के वक्त सफ़र क्या करते
इश्क ने सारे सलीके बख्शे
हुस्न से कस्बेहुनर क्या करते
umabua
08-01-2013, 08:24 PM
ज़ख्म क्या क्या न ज़िन्दगी से मिले
ख्वाब पलकों से बे-रुखी से मिले
आप को मिल गए हैं किस्मत से
हम ज़माने को कब किसी को मिले
ख्वाब पलकों से बे-रुखी से मिले
आप को मिल गए हैं किस्मत से
हम ज़माने को कब किसी को मिले
umabua
08-01-2013, 08:25 PM
करम जब आला-ए-नबी का शरीक होता है
बिगड़ बिगड़ कर हर काम ठीक होता है
बिगड़ बिगड़ कर हर काम ठीक होता है
baju.baju
13-01-2013, 12:46 AM
उसके होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती ,
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती.
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई
मे घर मे सबसे छोटा था मेरे हिस्से मे माँ आई
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती.
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई
मे घर मे सबसे छोटा था मेरे हिस्से मे माँ आई
baju.baju
13-01-2013, 12:53 AM
दुश्मनी का सफ़र एक कदम दो कदम,
तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जाएंगे.....
दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजायश रहे
कल जो हम दोस्त बन जाये तो शर्मिंदा न हो
तुम भी थक जाओगे, हम भी थक जाएंगे.....
दुश्मनी जम के करो पर इतनी गुंजायश रहे
कल जो हम दोस्त बन जाये तो शर्मिंदा न हो
baju.baju
13-01-2013, 10:15 AM
माँ पर तो उन्होंने जो लिख दिया है वो इतिहास हो गया और उनसे बेहतर कोई और लिख ही नहीं पाया सुनिए-
किसी को घर मिला हिस्से में, या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में माँ आई॥
ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दी, घर में उजाला हो गया॥
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
एक मेरी माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती॥
कुछ इस तरह वोह मेरे गुनाहों को धो देती है
माँ बहुत गुस्से मे होती है तो रो देती है
किसी को घर मिला हिस्से में, या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में माँ आई॥
ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दी, घर में उजाला हो गया॥
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
एक मेरी माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती॥
कुछ इस तरह वोह मेरे गुनाहों को धो देती है
माँ बहुत गुस्से मे होती है तो रो देती है
baju.baju
13-01-2013, 10:21 AM
अगर वो पूछ लें हमसे कहो किस बात का ग़म है,
तो फिर किस बात का ग़म है, अगर वो पूछ लें हमसे...
शानदार शानदार शानदार शानदार
तो फिर किस बात का ग़म है, अगर वो पूछ लें हमसे...
शानदार शानदार शानदार शानदार
baju.baju
14-01-2013, 01:05 AM
हर दर्द को दफ़न कर गहराई में कहीं ,
दो पल के लिए सब कुछ भुलाया जाए.
रोने के लिए घर में कोने बहुत से हैं ,
आज महफ़िल में चलो सब को हंसाया जाए.....
एय मौत कितनी वफ़ा हैं तुझमे !
आज मैं आजमाना चाहता हूँ !!
जिंदगी ने बहुत रुलाया हैं हमें !
अब अगर तेरा साथ मिले तो..
जिंदगी को रुलाना चाहता हूँ !!
ए मौत तुझे एक दिन आना है वले
आज आते शबे फुरकत मे तो अहसां होता
दो पल के लिए सब कुछ भुलाया जाए.
रोने के लिए घर में कोने बहुत से हैं ,
आज महफ़िल में चलो सब को हंसाया जाए.....
एय मौत कितनी वफ़ा हैं तुझमे !
आज मैं आजमाना चाहता हूँ !!
जिंदगी ने बहुत रुलाया हैं हमें !
अब अगर तेरा साथ मिले तो..
जिंदगी को रुलाना चाहता हूँ !!
ए मौत तुझे एक दिन आना है वले
आज आते शबे फुरकत मे तो अहसां होता
baju.baju
14-01-2013, 02:04 AM
परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानों में,
हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में...
आदमी टूट जाता है एक घर बनाने में
तुम सोचते नहीं बस्तियां जलने में
हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में...
आदमी टूट जाता है एक घर बनाने में
तुम सोचते नहीं बस्तियां जलने में
baju.baju
14-01-2013, 03:31 AM
इक उमर कट गई है तेरे इंतजार में,
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात
ऐ शम्मा तुझ पे ये रात भारी है जिस तरह
हमने तमाम उम्र गुजारी है उस तरह
ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात
ऐ शम्मा तुझ पे ये रात भारी है जिस तरह
हमने तमाम उम्र गुजारी है उस तरह
DIWANA DON
25-01-2013, 10:06 PM
इस तरह मेरी तरफ मेरा मसीहा देखे
दर्द दिल में ही रहे और दवा हो जाए
जिंदगी को मिले कोई हुनर ऐसा भी
सबमे मौजूद भी हो और फना हो जाए
मौजूजा काश दिखा दे ये निगाहें मेरी
लफ्ज खामोश रहें बात अदा हो जाए
इस तरह जुर्म के अहसास को बेदार करो
जिस्म आजाद रहे और सजा हो जाए
उस को मैं देखूं तो इस तरह से देखूं नुजहत
शर्म आंखों में रहे और खता हो जाए
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
कर्ज गम का चुकाना पड़ा है,
रोके भी मुस्कुराना पड़ा है
सच को सच कह दिया था इसी पर
मेरे पीछे जमाना पड़ा है।
इक खुदा के न आगे झुके तो
दरबदर सर झुकाना पड़ा है
तुझको अपना बनाने की खातिर
सबको अपना बनाना पड़ा है।
क्या बताएं कि किन मुश्किलों में
जिंदगी को निभाना पड़ा है।
संगदिल जो है मशहूर नुजहत
शेर उनको सुनाना पड़ा है।
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
वसीम बरेलवी
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
सुंदर रचनाये ..............
दर्द दिल में ही रहे और दवा हो जाए
जिंदगी को मिले कोई हुनर ऐसा भी
सबमे मौजूद भी हो और फना हो जाए
मौजूजा काश दिखा दे ये निगाहें मेरी
लफ्ज खामोश रहें बात अदा हो जाए
इस तरह जुर्म के अहसास को बेदार करो
जिस्म आजाद रहे और सजा हो जाए
उस को मैं देखूं तो इस तरह से देखूं नुजहत
शर्म आंखों में रहे और खता हो जाए
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
कर्ज गम का चुकाना पड़ा है,
रोके भी मुस्कुराना पड़ा है
सच को सच कह दिया था इसी पर
मेरे पीछे जमाना पड़ा है।
इक खुदा के न आगे झुके तो
दरबदर सर झुकाना पड़ा है
तुझको अपना बनाने की खातिर
सबको अपना बनाना पड़ा है।
क्या बताएं कि किन मुश्किलों में
जिंदगी को निभाना पड़ा है।
संगदिल जो है मशहूर नुजहत
शेर उनको सुनाना पड़ा है।
-डा. नुजहत अंजुम
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
वसीम बरेलवी
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआ
अभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ
बशीर बद्र
गर पुनरावर्ती हुई तो मॉफी चाहती हु
सुंदर रचनाये ..............
baju.baju
25-01-2013, 10:09 PM
करेँ हम दुश्मनी किससे ,कोई दुश्मन भी हो अपना
मोहब्बत ने नहीँ छोड़ी ,जगह दिल मेँ अदावत की
बहुत खूब बहुत खूब
मोहब्बत ने नहीँ छोड़ी ,जगह दिल मेँ अदावत की
बहुत खूब बहुत खूब
baju.baju
26-01-2013, 12:00 AM
बे सबब यूँ ही सर-ए-शाम निकल आते हैं,
हम बुलाएँ उन्हें तो काम निकल आते हैं
ये भी एक बात है अदावत की
रोजा रखा जो हमने दावत की
हम बुलाएँ उन्हें तो काम निकल आते हैं
ये भी एक बात है अदावत की
रोजा रखा जो हमने दावत की
baju.baju
26-01-2013, 12:43 AM
दोस्ती तो एक अनमोल ताज़ होता हैं !
दोस्त को जिसपे नाज़ होता हैं !!
कृष्णा और सुदामा को देख कर पता चलता हैं !
की भगवान् भी दोस्ती का मोहताज़ हैं !!
दोस्त प्यार से भी बड़ा होता है;हर सुख और दुःख में साथ होता है;
तभी तो कृष्ण राधा के लिए नहीं, सुदामा के लिए रोता है
दोस्त को जिसपे नाज़ होता हैं !!
कृष्णा और सुदामा को देख कर पता चलता हैं !
की भगवान् भी दोस्ती का मोहताज़ हैं !!
दोस्त प्यार से भी बड़ा होता है;हर सुख और दुःख में साथ होता है;
तभी तो कृष्ण राधा के लिए नहीं, सुदामा के लिए रोता है
baju.baju
26-01-2013, 01:00 AM
सोच सोचकर उम्र क्यूं कम करूं
वो नही मिला तो क्यूं गम करूं
ना हुआ ना सही दीदार उनका
किसलिए भला आँखे नम करूं
सोचता हूँ लिख डालु विरासत
उसके नाम भी कुछ नज्म करूं
हद हो गई फल के इंतजार की
कितने दिन और अब कर्म करूं
अब नही सुहाती इश्क की बातें
वो मिले तो किस्सा खत्म करूं
महबूब के कपड़ो की कंगाली पर
बता तो बेचैन कितनी शर्म करू
खुद को यूं खोकर जिन्दगी को मयूस न कर
मंजिले चारो तरफ है रास्तों की तलाश कर
वो नही मिला तो क्यूं गम करूं
ना हुआ ना सही दीदार उनका
किसलिए भला आँखे नम करूं
सोचता हूँ लिख डालु विरासत
उसके नाम भी कुछ नज्म करूं
हद हो गई फल के इंतजार की
कितने दिन और अब कर्म करूं
अब नही सुहाती इश्क की बातें
वो मिले तो किस्सा खत्म करूं
महबूब के कपड़ो की कंगाली पर
बता तो बेचैन कितनी शर्म करू
खुद को यूं खोकर जिन्दगी को मयूस न कर
मंजिले चारो तरफ है रास्तों की तलाश कर
govind22
06-02-2013, 10:22 PM
यूँ ही रक्खा था किसी ने, संग इक दीवार पर,
सर झुकाए मैं खड़ा था, वो ख़ुदा बनता गया ।.
कौन है वो, पाक दामन जो हर इक लहजे से है,
गलतियां होती गईं और ये जहां बनता गया ।
सर झुकाए मैं खड़ा था, वो ख़ुदा बनता गया ।.
कौन है वो, पाक दामन जो हर इक लहजे से है,
गलतियां होती गईं और ये जहां बनता गया ।
govind22
11-02-2013, 09:31 PM
न उड़ाओ यूं ठोकरों से, मेरी खाके कब्र ज़ालिम
यही एक रह गई है , मेरे प्यार की निशानी ।
यही एक रह गई है , मेरे प्यार की निशानी ।
pathfinder
17-02-2013, 11:04 AM
लकड़ी के मकानों में चरागों को न रखिये
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते |
अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते |
govind22
18-02-2013, 10:45 PM
मुझे अच्छा लगा 'मोहसिन'
उसे पा कर गँवा देना
उसे पा कर गँवा देना
SAAJANN
09-03-2013, 11:27 AM
आने लगा हयात को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
-बाकी सिद्दकी
1.हयात - जिन्दगी,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
-बाकी सिद्दकी
1.हयात - जिन्दगी,
SAAJANN
09-03-2013, 11:28 AM
इस जमीं पै जिन्का था दबदबा कि बुलंद अर्श पै नाम था,
उन्हें यूँ फलक ने मिटा दिया कि मजार तक का निशां नहीं।
उन्हें यूँ फलक ने मिटा दिया कि मजार तक का निशां नहीं।
SAAJANN
09-03-2013, 11:28 AM
उजाले जश्ने-बहाराँ के खूब हैं लेकिन,
अंधेरे बीते हुए शब के याद आते हैं।
अंधेरे बीते हुए शब के याद आते हैं।
SAAJANN
09-03-2013, 11:29 AM
एक हंगामे पै मौकूफ है घर की रौनक,
नौहा-ए-गम ही सही, नग्मा-ए-शादी न सही।
-मिर्जा 'गालिब'
मौकूफ - निर्भर
नौहा-ए-गम - किसी की मृत्यु पर रोना-पीटना
नग्मा-ए-शादी - शादी का गीत
नौहा-ए-गम ही सही, नग्मा-ए-शादी न सही।
-मिर्जा 'गालिब'
मौकूफ - निर्भर
नौहा-ए-गम - किसी की मृत्यु पर रोना-पीटना
नग्मा-ए-शादी - शादी का गीत
SAAJANN
09-03-2013, 11:30 AM
एक हंगामे पै मौकूफ है घर की रौनक,
नौहा-ए-गम ही सही, नग्मा-ए-शादी न सही।
-मिर्जा 'गालिब'
मौकूफ - निर्भर
नौहा-ए-गम - किसी की मृत्यु पर रोना-पीटना
नग्मा-ए-शादी - शादी का गीत
नौहा-ए-गम ही सही, नग्मा-ए-शादी न सही।
-मिर्जा 'गालिब'
मौकूफ - निर्भर
नौहा-ए-गम - किसी की मृत्यु पर रोना-पीटना
नग्मा-ए-शादी - शादी का गीत
SAAJANN
09-03-2013, 11:30 AM
एक लम्हा भी मसर्रत का बहुत होता है,
लोग जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं।
1.मसर्रत - खुशी,
लोग जीने का सलीका ही कहाँ रखते हैं।
1.मसर्रत - खुशी,
SAAJANN
09-03-2013, 11:31 AM
एक है दोनों यास हो या उम्मीद,
एक तड़पाये और एक बहलाये।
-तमकीन सरमस्त
1. यास - निराशा,
एक तड़पाये और एक बहलाये।
-तमकीन सरमस्त
1. यास - निराशा,
SAAJANN
09-03-2013, 11:31 AM
कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हसरत,
लेकिन निहाँ इसी में दुनिया की दास्तां हैं।
लेकिन निहाँ इसी में दुनिया की दास्तां हैं।
SAAJANN
09-03-2013, 11:32 AM
कारगाहे-हयात में ऐ दोस्त यह हकीकत मुझे नजर आई,
हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई।
-'जिगर' मुरादाबादी
तीरगी - अंधेरा, अंधकार, तिमिर
हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई।
-'जिगर' मुरादाबादी
तीरगी - अंधेरा, अंधकार, तिमिर
SAAJANN
09-03-2013, 11:33 AM
कितनी लतीफ, कितनी हसीं, कितनी मुख्तसर,
इक नौशिगुफ्ता फूल की नकहत है जिन्दगी।
-'शकील'बदायुनी
1. लतीफ - कोमल
2. मुख्तसर - कम,
3. नौशिगुफ्ता -नया-नया खिला हुआ
इक नौशिगुफ्ता फूल की नकहत है जिन्दगी।
-'शकील'बदायुनी
1. लतीफ - कोमल
2. मुख्तसर - कम,
3. नौशिगुफ्ता -नया-नया खिला हुआ
SAAJANN
09-03-2013, 11:34 AM
किसको रोता है उम्र भर कोई,
आदमी जल्द भूल जाता है।
आदमी जल्द भूल जाता है।
robin hood
20-03-2013, 03:03 PM
जिंदगी में न रास आई राहत चैन से सोने दो अब लहद में
ऐ फरिश्तों न छेड़ो न छेड़ो हम जहाँ के सताए हुए हैं |
ऐ फरिश्तों न छेड़ो न छेड़ो हम जहाँ के सताए हुए हैं |
robin hood
20-03-2013, 03:04 PM
मुजरिम समझ के दे दे सज़ा या बरी ही कर
बहला न मुझको देके ज़मानत के चार दिन
बहला न मुझको देके ज़मानत के चार दिन
robin hood
20-03-2013, 03:05 PM
मेरे ज़ख़्मे जिगर का हाल आरिफ कुछ बता उनको
कभी ऐ काश हो जावे मेरी खातिर दुआ उनकी
कभी ऐ काश हो जावे मेरी खातिर दुआ उनकी
robin hood
21-03-2013, 09:30 AM
मज़्हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दुस्ताँ हमारा
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दुस्ताँ हमारा
robin hood
21-03-2013, 09:31 AM
यूनान -ओ-मिश्र-ओ-रोमा सब मिट गये जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा
robin hood
21-03-2013, 09:32 AM
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
robin hood
21-03-2013, 09:36 AM
कटे हैं पर और कफस में हैं परिंदा भी ..
मगर निगाह में मंजिल की लगन बाकी है
मगर निगाह में मंजिल की लगन बाकी है
robin hood
21-03-2013, 05:08 PM
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
robin hood
21-03-2013, 05:21 PM
हम दीवानों के महफ़िल में आते तो हो
ज़ख्म को देख के न मुस्कुराया करो
ज़ख्म को देख के न मुस्कुराया करो
robin hood
21-03-2013, 05:25 PM
मिले कोई भी तेरा ज़िक्र छेड़ देते हैं
के जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है
के जैसे सारा जहाँ राज़दार अपना है
robin hood
21-03-2013, 05:28 PM
बैठा हूँ सर झुकाए हुए उसकी बज़्म में
शायद मेरी नज़र भी हुजूमे नज़र में है
शायद मेरी नज़र भी हुजूमे नज़र में है
robin hood
21-03-2013, 05:39 PM
कुछ दूर हमारे साथ चलो हम दिल की कहानी कह देंगे
समझे न जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी कह देंगे
समझे न जिसे तुम आँखों से वो बात ज़ुबानी कह देंगे
robin hood
21-03-2013, 05:42 PM
बस एक ख़ुद से ही अपनी नहीं बनी वरना
ज़माने भर से हमेशा बना के रखते हैं
ज़माने भर से हमेशा बना के रखते हैं
robin hood
21-03-2013, 05:45 PM
सूरज की मानिंद सफ़र पे रोज़ निकलना पड़ता है
बैठे-बैठे दिन बदलेंगे इसके भरोसे मत रहना
बैठे-बैठे दिन बदलेंगे इसके भरोसे मत रहना
robin hood
21-03-2013, 05:59 PM
सामन-ए-तिजारत मेरा ईमान नहीं है
हर दर पे झुके सर ये मेरी शान नहीं है
हर दर पे झुके सर ये मेरी शान नहीं है
robin hood
21-03-2013, 06:01 PM
हम ने तो बनाये हैं समन्दर में भी रस्ते
यूँ हम को मिटाना कोई आसान नहीं है
यूँ हम को मिटाना कोई आसान नहीं है
robin hood
21-03-2013, 06:03 PM
शोले ही सही आग लगाने के लिये आ
फिर तूर के मन्ज़र को दिखाने के लिये आ
फिर तूर के मन्ज़र को दिखाने के लिये आ
robin hood
21-03-2013, 06:04 PM
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिये रोते हैं
वो ग़ैर की बाहों में आराम से सोते हैं
वो ग़ैर की बाहों में आराम से सोते हैं
robin hood
21-03-2013, 06:06 PM
वो अपने चेहरे में सौ अफ़ताब रखते हैं
इस लिये तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं
इस लिये तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं
robin hood
21-03-2013, 06:09 PM
तुम्हें जफ़ा से न यूँ बाज़ आना चाहिये था
अभी कुछ और मेरा दिल दुखाना चाहिये था
अभी कुछ और मेरा दिल दुखाना चाहिये था
vedant thakur
21-03-2013, 09:32 PM
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
वाह वाह क्या बात है रोबिन जी ....... आज तो बड़ी शायरी वायरी हो रही है.
तेरी सूरत से नही मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिये फिरते हैं.
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
वाह वाह क्या बात है रोबिन जी ....... आज तो बड़ी शायरी वायरी हो रही है.
तेरी सूरत से नही मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिये फिरते हैं.
Parbat
21-03-2013, 11:26 PM
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
:salut::salut::salut::salut:
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे
:salut::salut::salut::salut:
robin hood
24-03-2013, 09:23 AM
एक कमी थी ताज महल में
हमने तेरी तस्वीर लगा दी
हमने तेरी तस्वीर लगा दी
robin hood
24-03-2013, 09:23 AM
झूम के जब रिंदों ने पिला दी
शेख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
शेख़ ने चुपके चुपके दुआ दी
robin hood
24-03-2013, 09:24 AM
वाह वाह क्या बात है रोबिन जी ....... आज तो बड़ी शायरी वायरी हो रही है.
तेरी सूरत से नही मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिये फिरते हैं.
:salut::salut::salut::salut:
शुक्रिया भाई लोग...............
तेरी सूरत से नही मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिये फिरते हैं.
:salut::salut::salut::salut:
शुक्रिया भाई लोग...............
robin hood
24-03-2013, 09:24 AM
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
robin hood
24-03-2013, 09:25 AM
कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
robin hood
24-03-2013, 09:25 AM
दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा
robin hood
24-03-2013, 09:27 AM
गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा
robin hood
24-03-2013, 09:45 AM
मैं खुद ज़मीन हूँ मगर ज़र्फ़ आसमान का है
कि टूट कर भी मेरा हौसला चट्टान का है
कि टूट कर भी मेरा हौसला चट्टान का है
robin hood
24-03-2013, 09:45 AM
ये और बात अदालत है बे-खबर वरना
तमाम शहर में चर्चा मेरे बयान का है
तमाम शहर में चर्चा मेरे बयान का है
robin hood
24-03-2013, 09:46 AM
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएँ
क्या करें लोग जब खुदा हो जाएँ
robin hood
24-03-2013, 09:48 AM
होके मजबूर मुझे उस ने भुलाया होगा
ज़हर चुप कर के दवा जान के ख़ाया होगा |
ज़हर चुप कर के दवा जान के ख़ाया होगा |
robin hood
24-03-2013, 09:49 AM
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाये होँगे
अश्क आँखों ने पिये और न बहाये होँगे
अश्क आँखों ने पिये और न बहाये होँगे
robin hood
24-03-2013, 09:49 AM
बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में
कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में
robin hood
24-03-2013, 09:52 AM
शुक्रिया ऐ मेरे क़ातिल ऐ मसीहा मेरे
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा।
ज़हर जो तूने दिया था वो दवा हो बैठा।
robin hood
24-03-2013, 09:54 AM
इश्क जब एक तरफ़ हो तो सज़ा देता है
और जब दोनों तरफ़ हो तो मज़ा देता है।
और जब दोनों तरफ़ हो तो मज़ा देता है।
robin hood
24-03-2013, 09:55 AM
मैं किसी ज़ाम का मोहताज नहीं हूँ ‘हसरत’
मेरा साकी मुझे आँखों से पिला देता है।
मेरा साकी मुझे आँखों से पिला देता है।
robin hood
24-03-2013, 09:58 AM
जब इसकी वफ़ाओं पे यकीं तुमको नहीं है
‘हसरत’ को निग़ाहों से गिरा क्यों नहीं देते?
‘हसरत’ को निग़ाहों से गिरा क्यों नहीं देते?
robin hood
24-03-2013, 09:59 AM
मैंने जिनके लिए हंस-हंस के ग़मों को झेला,
क्या ख़बर थी कि वही लोग पराये होंगे.
क्या ख़बर थी कि वही लोग पराये होंगे.
vedant thakur
24-03-2013, 10:02 AM
मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश,
ऐसी भी मेरी हार हुई है कभी कभी
ऐसी भी मेरी हार हुई है कभी कभी
vedant thakur
24-03-2013, 10:03 AM
मैं इससे पहले बिखरूं, इधर-उधर हो जाऊं,
मुझे संभाल ले, मुमकिन है दर बदर हो जाऊं
मुझे संभाल ले, मुमकिन है दर बदर हो जाऊं
robin hood
24-03-2013, 10:03 AM
निकले 'हर-हर-महादेव ' घर फूकने ।
जान लेनें को 'अल्ला-हो-अकबर' चले।।
जान लेनें को 'अल्ला-हो-अकबर' चले।।
vedant thakur
24-03-2013, 10:04 AM
जहनो दिल में तुम्हें आबाद करेगी दुनिया,
कुछ करो काम तभी याद करेगी दुनिया
कुछ करो काम तभी याद करेगी दुनिया
vedant thakur
24-03-2013, 10:06 AM
हमसे इंसाफ न कर पाए अगर आप,
आपके सिर से भी ताज उतर जाएगा
आपके सिर से भी ताज उतर जाएगा
vedant thakur
24-03-2013, 10:06 AM
मैने एक रोज कांटे को क्या छू लिया,
लोग फूलों से दामन बचाने लगे
लोग फूलों से दामन बचाने लगे
vedant thakur
24-03-2013, 10:07 AM
निकले 'हर-हर-महादेव ' घर फूकने ।
जान लेनें को 'अल्ला-हो-अकबर' चले।।
क्या बात है रोबिन भाई ............ कमाल का शेर है ,लेकिन इसे पढकर ऐसा लगता है कि यह पूरी गजल होगी .
जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए,
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
जान लेनें को 'अल्ला-हो-अकबर' चले।।
क्या बात है रोबिन भाई ............ कमाल का शेर है ,लेकिन इसे पढकर ऐसा लगता है कि यह पूरी गजल होगी .
जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए,
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
vedant thakur
24-03-2013, 10:08 AM
अक्सर वो फैसले मेरे हक में गलत हुए,
जिन फैसलों के नीचे मेरे दस्तखत हुए
जिन फैसलों के नीचे मेरे दस्तखत हुए
vedant thakur
24-03-2013, 10:10 AM
सूनी मांग भरने की भी अब तो बोली लगती है,
कीमत देकर भी दुल्हन इक रोज चिता में जलती है
कीमत देकर भी दुल्हन इक रोज चिता में जलती है
vedant thakur
24-03-2013, 10:12 AM
बाग में टहलते एक दिन, जब वो बेनकाब हो गए,
जितने पेड़ थे बबूल के सबके सब गुलाब हो गए।
जितने पेड़ थे बबूल के सबके सब गुलाब हो गए।
vedant thakur
24-03-2013, 10:12 AM
इश्क पूजा भी है और इबादत भी,
इश्क सूली भी है और शहादत भी।
इश्क सूली भी है और शहादत भी।
vedant thakur
24-03-2013, 10:13 AM
बता रहे हैं उसे सब हराम की दौलत,
जो जायदाद मेरे नाम कर गया कोई,
किसी अमीर की बेटी से इश्क था अनवर,
इसी फिराक में सुनते हैं मर गया कोई
जो जायदाद मेरे नाम कर गया कोई,
किसी अमीर की बेटी से इश्क था अनवर,
इसी फिराक में सुनते हैं मर गया कोई
vedant thakur
24-03-2013, 10:13 AM
दरिया के किनारे गर सियासी लोग बस जाएं,
तो प्यासे होठ इक-इक बूंद पानी को तरस जाएं।
तो प्यासे होठ इक-इक बूंद पानी को तरस जाएं।
vedant thakur
24-03-2013, 10:15 AM
महक जिस गम की सालानी रहेगी,
उसी की दिल पर सुल्तानी रहेगी,
चिरागों ने बड़ी हिम्मत से पूछा,
हवा किस वक्त तूफानी रहेगी।
उसी की दिल पर सुल्तानी रहेगी,
चिरागों ने बड़ी हिम्मत से पूछा,
हवा किस वक्त तूफानी रहेगी।
vedant thakur
24-03-2013, 10:16 AM
रोज जीती हैं रोज मरती हैं,
मगर आरजुएं कमाल करती हैं।
मगर आरजुएं कमाल करती हैं।
vedant thakur
24-03-2013, 10:17 AM
जहां में यूं तो बहुत हैं ऐसे जो मालो दौलत कमा रहे हैं,
खुदा ने तौफीक दी है जिनको, वही खजाने लुटा रहे हैं।
खुदा ने तौफीक दी है जिनको, वही खजाने लुटा रहे हैं।
vedant thakur
24-03-2013, 10:17 AM
कसम खुदा की हम उनसे ही प्यार करते हैं,
जो दिल के तीर से दिल का शिकार करते हैं।
जो दिल के तीर से दिल का शिकार करते हैं।
vedant thakur
24-03-2013, 10:23 AM
फलक के कहर सितारों की बददुओं से डरो,
जमी के सब्रो तहम्मुल से डरो
जमी के सब्रो तहम्मुल से डरो
vedant thakur
24-03-2013, 10:26 AM
मेरा है न तेरा है, यह हिन्दुस्तान सबका है,
नहीं समझी गई यह बात तो फिर नुकसान सबका है।
नहीं समझी गई यह बात तो फिर नुकसान सबका है।
robin hood
24-03-2013, 10:28 AM
कागजों की सब सियाही बारिशों में धुल गई
हम ने जो सोचा तेरे बारे में सब बेकार था
हम ने जो सोचा तेरे बारे में सब बेकार था
robin hood
24-03-2013, 10:30 AM
कसम खुदा की हम उनसे ही प्यार करते हैं,
जो दिल के तीर से दिल का शिकार करते हैं।
मेरा है न तेरा है, यह हिन्दुस्तान सबका है,
नहीं समझी गई यह बात तो फिर नुकसान सबका है।
बेहतरीन,,,,,,,,,,,,,,,
जो दिल के तीर से दिल का शिकार करते हैं।
मेरा है न तेरा है, यह हिन्दुस्तान सबका है,
नहीं समझी गई यह बात तो फिर नुकसान सबका है।
बेहतरीन,,,,,,,,,,,,,,,
robin hood
24-03-2013, 10:34 AM
क्या बात है रोबिन भाई ............ कमाल का शेर है ,लेकिन इसे पढकर ऐसा लगता है कि यह पूरी गजल होगी .
जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए,
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
हा मित्र ,,,,,,,
जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए,
ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए
हा मित्र ,,,,,,,
robin hood
24-03-2013, 10:36 AM
ख़ुदा करे कि मोहब्बत में ये मक़ाम आए
किसी का नाम लूँ लब पे तुम्हारा नाम आए।
किसी का नाम लूँ लब पे तुम्हारा नाम आए।
robin hood
24-03-2013, 10:36 AM
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था, आप को धोखा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था, आप को धोखा हुआ होगा
robin hood
24-03-2013, 10:40 AM
यहाँ पर सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैं
खुदा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा
खुदा जाने यहाँ पर किस तरह जलसा हुआ होगा
vedant thakur
24-03-2013, 01:58 PM
खमोश लब हैं झुकी है पलकें दिलों में उल्फत नई नई है
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में अभी मुहब्बत नई नई है
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा अभी ये चाहत नई नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है .
इस पंक्ति का मतलब कोई बता सकता है ?
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में अभी मुहब्बत नई नई है
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा अभी ये चाहत नई नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है .
इस पंक्ति का मतलब कोई बता सकता है ?
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
Noctis Lucis
24-03-2013, 02:37 PM
saf= pnkti,line
pathfinder
24-03-2013, 02:42 PM
खफ़ा भी होना तो मुंह मोड़कर नही जाना
तुम्हे कसम है मुझे छोड़कर नही जाना
दिल आईना भी है काबा भी है तेरा घर भी
हमारे दिल को कभी तोड़कर नहीं जाना |
तुम्हे कसम है मुझे छोड़कर नही जाना
दिल आईना भी है काबा भी है तेरा घर भी
हमारे दिल को कभी तोड़कर नहीं जाना |
pathfinder
24-03-2013, 02:50 PM
इस पंक्ति का मतलब कोई बता सकता है ?
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
सफ का मतलब पंक्ति होता है परन्तु इस शेर में इस शब्द को विशेष रूप से नमाज़ पढ़ने के लिए लगने वाली पंक्ति के रूप में प्रयोग किया गया है |
व्याख्या- इस्लामी नियमों के अनुसार नमाज़ पढ़ने के कुछ विशेष नियम हैं जिनमे से यहाँ पर दो का उल्लेख किया जा रहा है |
१-नमाज़ का समय होने पर नमाज़ अवश्य शुरू की जानी चाहिए और किसी भी बड़े , विद्वान , धनवान ,बलशाली , सुंदर यहाँ तक कि उस समय के बादशाह तक का भी इंतज़ार करने को मना किया गया है |
२-पहले आये पहले पाए वाले सिस्टम के अनुसार बाद में आने वाला पीछे खड़ा होगा और पहले आने वाला आगे ,चाहे बाद में आने वाला कितना ही बड़ा आदमी क्यूँ न हो |परन्तु कुछ लोग अपने बडप्पन ,रुतबे या प्रभाव का प्रयोग करके बाद में आने के बावजूद आगे खड़े होने का प्रयास करते हैं और कभी कभी उनके चमचे उनके लिए आगे की सीट रोक कर रखते हैं जिसके लिए सख्ती से मना किया गया है |
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
सफ का मतलब पंक्ति होता है परन्तु इस शेर में इस शब्द को विशेष रूप से नमाज़ पढ़ने के लिए लगने वाली पंक्ति के रूप में प्रयोग किया गया है |
व्याख्या- इस्लामी नियमों के अनुसार नमाज़ पढ़ने के कुछ विशेष नियम हैं जिनमे से यहाँ पर दो का उल्लेख किया जा रहा है |
१-नमाज़ का समय होने पर नमाज़ अवश्य शुरू की जानी चाहिए और किसी भी बड़े , विद्वान , धनवान ,बलशाली , सुंदर यहाँ तक कि उस समय के बादशाह तक का भी इंतज़ार करने को मना किया गया है |
२-पहले आये पहले पाए वाले सिस्टम के अनुसार बाद में आने वाला पीछे खड़ा होगा और पहले आने वाला आगे ,चाहे बाद में आने वाला कितना ही बड़ा आदमी क्यूँ न हो |परन्तु कुछ लोग अपने बडप्पन ,रुतबे या प्रभाव का प्रयोग करके बाद में आने के बावजूद आगे खड़े होने का प्रयास करते हैं और कभी कभी उनके चमचे उनके लिए आगे की सीट रोक कर रखते हैं जिसके लिए सख्ती से मना किया गया है |
robin hood
24-03-2013, 05:14 PM
और 'फ़राज़' चाहिये कितनी मुहब्बतें तुझे के माओँ ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया
robin hood
24-03-2013, 05:15 PM
वो शख़्स भला मेरा क्या साथ निभायेगामौसम की तरह जिस ने सीखा है बदल जाना
robin hood
24-03-2013, 05:17 PM
इक उम्र हुई मैं तो हँसी भूल चुका हूँ
तुम अब भी मेरे दिल को दुखना नहीं भूले |
तुम अब भी मेरे दिल को दुखना नहीं भूले |
robin hood
24-03-2013, 05:19 PM
झूठ क्यूँ बोलें फ़रोग़-ए-मस्लहत के नाम पर
ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमें मरना तो है
ज़िन्दगी प्यारी सही लेकिन हमें मरना तो है
robin hood
24-03-2013, 05:21 PM
बुझ रहे हैं एक एक कर के अक़ीदों के दिये
इस अँधेरे का भी लेकिन सामना करना तो है
इस अँधेरे का भी लेकिन सामना करना तो है
anita
24-03-2013, 10:45 PM
सफ का मतलब पंक्ति होता है परन्तु इस शेर में इस शब्द को विशेष रूप से नमाज़ पढ़ने के लिए लगने वाली पंक्ति के रूप में प्रयोग किया गया है |
व्याख्या- इस्लामी नियमों के अनुसार नमाज़ पढ़ने के कुछ विशेष नियम हैं जिनमे से यहाँ पर दो का उल्लेख किया जा रहा है |
१-नमाज़ का समय होने पर नमाज़ अवश्य शुरू की जानी चाहिए और किसी भी बड़े , विद्वान , धनवान ,बलशाली , सुंदर यहाँ तक कि उस समय के बादशाह तक का भी इंतज़ार करने को मना किया गया है |
२-पहले आये पहले पाए वाले सिस्टम के अनुसार बाद में आने वाला पीछे खड़ा होगा और पहले आने वाला आगे ,चाहे बाद में आने वाला कितना ही बड़ा आदमी क्यूँ न हो |परन्तु कुछ लोग अपने बडप्पन ,रुतबे या प्रभाव का प्रयोग करके बाद में आने के बावजूद आगे खड़े होने का प्रयास करते हैं और कभी कभी उनके चमचे उनके लिए आगे की सीट रोक कर रखते हैं जिसके लिए सख्ती से मना किया गया है |
खमोश लब हैं झुकी है पलकें दिलों में उल्फत नई नई है
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में अभी मुहब्बत नई नई है
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा अभी ये चाहत नई नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है .
इस पंक्ति का मतलब कोई बता सकता है ?
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
न बंदा रहा ना बंदा नवाज़ जब एक ही सफ में खड़े हो गए, महमूद-ओ अयाज़
व्याख्या- इस्लामी नियमों के अनुसार नमाज़ पढ़ने के कुछ विशेष नियम हैं जिनमे से यहाँ पर दो का उल्लेख किया जा रहा है |
१-नमाज़ का समय होने पर नमाज़ अवश्य शुरू की जानी चाहिए और किसी भी बड़े , विद्वान , धनवान ,बलशाली , सुंदर यहाँ तक कि उस समय के बादशाह तक का भी इंतज़ार करने को मना किया गया है |
२-पहले आये पहले पाए वाले सिस्टम के अनुसार बाद में आने वाला पीछे खड़ा होगा और पहले आने वाला आगे ,चाहे बाद में आने वाला कितना ही बड़ा आदमी क्यूँ न हो |परन्तु कुछ लोग अपने बडप्पन ,रुतबे या प्रभाव का प्रयोग करके बाद में आने के बावजूद आगे खड़े होने का प्रयास करते हैं और कभी कभी उनके चमचे उनके लिए आगे की सीट रोक कर रखते हैं जिसके लिए सख्ती से मना किया गया है |
खमोश लब हैं झुकी है पलकें दिलों में उल्फत नई नई है
अभी तकल्लुफ है गुफ़्तगू में अभी मुहब्बत नई नई है
अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा अभी ये चाहत नई नई है
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है .
इस पंक्ति का मतलब कोई बता सकता है ?
जरा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में
न बंदा रहा ना बंदा नवाज़ जब एक ही सफ में खड़े हो गए, महमूद-ओ अयाज़
vedant thakur
26-03-2013, 11:55 PM
न बंदा रहा ना बंदा नवाज़ जब एक ही सफ में खड़े हो गए, महमूद-ओ अयाज़
जब एक ही सफ में खड़े हो गए महमूद ओ अयाज़
ना कोई बंदा रहा ना कोई बंदा नवाज़
अच्छा याद दिलाया आपने .बिलकुल सही सिच्वेशन है जी...............
जब एक ही सफ में खड़े हो गए महमूद ओ अयाज़
ना कोई बंदा रहा ना कोई बंदा नवाज़
अच्छा याद दिलाया आपने .बिलकुल सही सिच्वेशन है जी...............
Desi'Boy
27-03-2013, 10:10 PM
ज़िन्दगी में कई मुश्किलें आती हैं ,
और इंसान जिंदा रहने से घबराता है ,
न जाने कैसे हज़ारों काँटों के बीच ,
रह कर भी एक फूल मुस्कुराता है
और इंसान जिंदा रहने से घबराता है ,
न जाने कैसे हज़ारों काँटों के बीच ,
रह कर भी एक फूल मुस्कुराता है
Desi'Boy
27-03-2013, 10:29 PM
अबमैं राशन की कतारों में नजर आता हुँ,अपने खेतों में बिछड़ने की सजा पाता हुँ,
कितनी मंहगाई है कि बाजार से कुछ लाता हुँ,अपने बच्चों में उसे बांटकर शर्माता हुँ..
कितनी मंहगाई है कि बाजार से कुछ लाता हुँ,अपने बच्चों में उसे बांटकर शर्माता हुँ..
Desi'Boy
27-03-2013, 10:31 PM
दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं भूले,हम अपने बुज़ुर्गों का ज़माना नहीं भूले,
तुम आँखों की बरसात बचाये हुये रखना,कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले,
तुम आँखों की बरसात बचाये हुये रखना,कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले,
Desi'Boy
27-03-2013, 10:32 PM
ये बात अलग हाथ कलम हो गये अपने,हम आप की तस्वीर बनाना नहीं भूले,
इक उम्र हुई मैं तो हँसी भूल चुका हूँ,तुम अब भी मेरे दिल को दुखना नहीं भूले..
इक उम्र हुई मैं तो हँसी भूल चुका हूँ,तुम अब भी मेरे दिल को दुखना नहीं भूले..
vedant thakur
28-03-2013, 07:27 AM
तुम आँखे चार मत करना
तारे शुमार मत करना
लड़कियों मुझको तज्रिबा है बहुत
मशविरा है के प्यार मत करना .
शुमार ---- गिनना , to count.
तारे शुमार मत करना
लड़कियों मुझको तज्रिबा है बहुत
मशविरा है के प्यार मत करना .
शुमार ---- गिनना , to count.
vedant thakur
28-03-2013, 08:34 AM
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में .
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में .
vedant thakur
28-03-2013, 08:50 AM
एक तु तेरी आवाज याद आएगी,
तेरी कही हुई हर बात याद आएगी,
दिन ढल जाएगा रात याद आएगी,
हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी,
कभी हंसती कभी रोती कभी मुस्कुराती,
ये जिन्दगी तेरे बिन यूं ही कट जाएगी,
पर कुछ कमी इसमें भी तो रह जाएगी,
दिल को तड़पाएगी कभी तरसाएगी,
हर लम्हा तेरी याद आ जाएगी,
एक तू तेरी आवाज याद आएगी...।
तेरी कही हुई हर बात याद आएगी,
दिन ढल जाएगा रात याद आएगी,
हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी,
कभी हंसती कभी रोती कभी मुस्कुराती,
ये जिन्दगी तेरे बिन यूं ही कट जाएगी,
पर कुछ कमी इसमें भी तो रह जाएगी,
दिल को तड़पाएगी कभी तरसाएगी,
हर लम्हा तेरी याद आ जाएगी,
एक तू तेरी आवाज याद आएगी...।
umabua
01-04-2013, 01:28 PM
लाख कोशिश की मगर फिर भी निकल कर ही रहे
घर से युसूफ, खल्द से आदम, तेरी महफ़िल से हम
घर से युसूफ, खल्द से आदम, तेरी महफ़िल से हम
umabua
01-04-2013, 01:28 PM
लो हम मरीज ए इश्क के तीमारदार हैं
अच्छा अगर न हो तू, मसीहा का क्या इलाज
अच्छा अगर न हो तू, मसीहा का क्या इलाज
umabua
01-04-2013, 01:29 PM
लोग करते हैं मुहब्बत में तमन्ना ए विसाल
ख्वाब का हुस्न गवाँ देते हैं ताबीर के साथ
ख्वाब का हुस्न गवाँ देते हैं ताबीर के साथ
umabua
01-04-2013, 01:29 PM
लोग कहते हैं जिन्हें नील कमल वो तो 'कतील'
शब् को इन झील सी आँखों में खिला करते हैं
शब् को इन झील सी आँखों में खिला करते हैं
umabua
01-04-2013, 01:29 PM
मुझे दिल की धडकनों का नहीं ऐतबार 'माहिर'
कभी हो गयी हैं शिकवे, कभी हो गयीं दुआएं
कभी हो गयी हैं शिकवे, कभी हो गयीं दुआएं
umabua
01-04-2013, 01:30 PM
मैं शब् का मुजरिम था, सहर का भी गुनहगार,
लोगों! मुझे इस शहर का आदाब सिखा दो
लोगों! मुझे इस शहर का आदाब सिखा दो
umabua
01-04-2013, 01:30 PM
जाने किस दौर में जाएगी ये आदत मेरी,
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना
रूठना उससे और औरों से उलझते रहना
umabua
04-04-2013, 01:25 PM
देख लेते हो मुहब्बत से, यही काफी है
दिल धड़कता है सहूलत से, यही काफी है
आज के एहद तगाफुल में किसी दर पे 'मुनीर'
कोई आ जाये ज़रुरत से, यही काफी है
-बदर मुनीर
दिल धड़कता है सहूलत से, यही काफी है
आज के एहद तगाफुल में किसी दर पे 'मुनीर'
कोई आ जाये ज़रुरत से, यही काफी है
-बदर मुनीर
umabua
04-04-2013, 01:30 PM
एक कतरा मलाल भी बोया नहीं गया
वो खौफ था कि लोगों से रोया नहीं गया
ये सच है कि तेरी भी नींदें उजड़ गयी
तुझसे बिछड़ के हम से भी सोया नहीं गया
-फरहत अब्बास
वो खौफ था कि लोगों से रोया नहीं गया
ये सच है कि तेरी भी नींदें उजड़ गयी
तुझसे बिछड़ के हम से भी सोया नहीं गया
-फरहत अब्बास
robin hood
04-04-2013, 01:52 PM
नादां सही, पर इतने नादान नहीं हैं हम,
खुद हमने जान-जान कर, कितने फरेब खाएं हैं
खुद हमने जान-जान कर, कितने फरेब खाएं हैं
Noctis Lucis
04-04-2013, 03:28 PM
shandaar hai hanttu
Desi'Boy
08-04-2013, 08:26 PM
माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं
कैसे कहें कि तेरे तलबगार हम नहीं
दिल को जला के राख बनाया,बुझा दिया
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं
सींचा था जिसको हमने तमन्ना के ख़ून से
गुलशन में उस तमन्ना के हक़दार हम नहीं
धोखा दिया है ख़ुद को मुहब्बत के नाम पर
ये किस तरह कहें कि ख़तावार हम नहीं
कैसे कहें कि तेरे तलबगार हम नहीं
दिल को जला के राख बनाया,बुझा दिया
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं
सींचा था जिसको हमने तमन्ना के ख़ून से
गुलशन में उस तमन्ना के हक़दार हम नहीं
धोखा दिया है ख़ुद को मुहब्बत के नाम पर
ये किस तरह कहें कि ख़तावार हम नहीं
Desi'Boy
08-04-2013, 08:27 PM
रस्मे उल्फ़त को निभाएं तो निभाएं कैसे
हर तरफ़ आग है दामन को बचाएं कैसे
दिल की राहों में उठाते हैं जो दुनिया वाले
कोई कह दे कि वो दीवार गिराएं कैसे
दर्द में डूबे हुए नग़में हज़ारों हैं मगर
साज़े-दिल टूट गया हो तो सुनाएं कैसे
बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते
ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठाएं कैसे
हर तरफ़ आग है दामन को बचाएं कैसे
दिल की राहों में उठाते हैं जो दुनिया वाले
कोई कह दे कि वो दीवार गिराएं कैसे
दर्द में डूबे हुए नग़में हज़ारों हैं मगर
साज़े-दिल टूट गया हो तो सुनाएं कैसे
बोझ होता जो ग़मों का तो उठा भी लेते
ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठाएं कैसे
Desi'Boy
08-04-2013, 08:29 PM
बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ अपने आप में लेकिन
बस तुमको याद करने कि वो आदत अब भी बाकी है
बस तुमको याद करने कि वो आदत अब भी बाकी है
Desi'Boy
08-04-2013, 08:32 PM
दोस्तो के लिए दोस्ती की सौगात होगी,
नये लोग होंगे नयी बात होगी,
हम हर हाल मे मुस्कुराते रहेंगे,
आपनी प्यार भारी दोस्ती अगर यूँही साथ होगी.
नये लोग होंगे नयी बात होगी,
हम हर हाल मे मुस्कुराते रहेंगे,
आपनी प्यार भारी दोस्ती अगर यूँही साथ होगी.
Desi'Boy
08-04-2013, 08:33 PM
रिश्तो की डोर से, गर हम बंध के न रह पायेंगें
तो कटी पतंग की तरहा, हम लुट लिये जायेंगें
तो कटी पतंग की तरहा, हम लुट लिये जायेंगें
Desi'Boy
08-04-2013, 08:34 PM
आपकी बातें करें या अपना अफ़साना कहें
होश में दोनों नहीं हैं किसको दीवाना कहें
राज़े-उल्फ़त ज़िंदगी भर राज़ रहना चाहिए
आँखों ही आँखों में ये ख़ामोश अफ़साना कहें
आपकी बाहों में आकर खिल उठी है ज़िंदगी
इन बहारों को भला हम किसका नज़राना कहें
दिल के हाथों लुट के हमने कर लिया ये फ़ैसला
आपको अपना कहें और दिल को बेगाना कहें
होश में दोनों नहीं हैं किसको दीवाना कहें
राज़े-उल्फ़त ज़िंदगी भर राज़ रहना चाहिए
आँखों ही आँखों में ये ख़ामोश अफ़साना कहें
आपकी बाहों में आकर खिल उठी है ज़िंदगी
इन बहारों को भला हम किसका नज़राना कहें
दिल के हाथों लुट के हमने कर लिया ये फ़ैसला
आपको अपना कहें और दिल को बेगाना कहें
Desi'Boy
08-04-2013, 08:36 PM
भरोसा कर लिया जिस पर उसी ने हमको लूटा है
कहाँ तक नाम गिनवाएं सभी ने हमको लूटा है
हमारी बेबसी को मुस्कराकर देखने वालो
तुम्हारे शहर की इक इक गली ने हमको लूटा है
जो लुटते मौत के हाथों तो कोई ग़म नहीं होता
ग़म इस बात का है ज़िंदगी ने हमको लूटा है
कभी बढ़कर हमारा रास्ता रोका अँधेरों ने
कभी मंज़िल दिखाकर रोशनी ने हमको लूटा है
कहाँ तक नाम गिनवाएं सभी ने हमको लूटा है
हमारी बेबसी को मुस्कराकर देखने वालो
तुम्हारे शहर की इक इक गली ने हमको लूटा है
जो लुटते मौत के हाथों तो कोई ग़म नहीं होता
ग़म इस बात का है ज़िंदगी ने हमको लूटा है
कभी बढ़कर हमारा रास्ता रोका अँधेरों ने
कभी मंज़िल दिखाकर रोशनी ने हमको लूटा है
Desi'Boy
08-04-2013, 08:37 PM
महोब्बत न सही थोड़ी नफ़रत तो दिखाई होती
काश इसी तरह तेरे दिल में थोड़ी जगह तो पाई होती
काश इसी तरह तेरे दिल में थोड़ी जगह तो पाई होती
Desi'Boy
08-04-2013, 08:38 PM
कौन करता हैं यहां प्यार निभाने के लिए
दिल तो बस इक खिलौना हैं यहा जमाने के लिए
दिल तो बस इक खिलौना हैं यहा जमाने के लिए
Noctis Lucis
09-04-2013, 05:39 AM
bahut achche desi......
umabua
28-04-2013, 11:29 AM
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
मैं इसे शोहरत कहूं या अपनी रुसवाई कहूं
मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए
-खातिर गज़नवी
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
मैं इसे शोहरत कहूं या अपनी रुसवाई कहूं
मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए
-खातिर गज़नवी
umabua
28-04-2013, 11:30 AM
बिल-आखिर थक हार के यारो हमने भी तस्लीम किया
अपनी ज़ात से इश्क है सच्चा, बाक़ी सब अफ़साने हैं
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हकीक़त, किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सहन-ए-चमन में फूल खिले हैं, सहरा में दीवाने हैं
-इब्ने-ए-सफ़ी
अपनी ज़ात से इश्क है सच्चा, बाक़ी सब अफ़साने हैं
उफ़ ये तलाश-ए-हुस्न-ओ-हकीक़त, किस जा ठहरें जाएँ कहाँ
सहन-ए-चमन में फूल खिले हैं, सहरा में दीवाने हैं
-इब्ने-ए-सफ़ी
mamta007
28-04-2013, 11:47 AM
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
मैं इसे शोहरत कहूं या अपनी रुसवाई कहूं
मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए
-खातिर गज़नवी
क्या बात है, अच्छे शब्दों के संगम से बहुत अच्छी बात कही है...
लेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गए
मैं इसे शोहरत कहूं या अपनी रुसवाई कहूं
मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए
-खातिर गज़नवी
क्या बात है, अच्छे शब्दों के संगम से बहुत अच्छी बात कही है...
umabua
29-04-2013, 10:50 AM
नहीं आती, तो याद उनकी महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं
-हसरत मोहानी
मगर जब याद आते हैं, तो अक्सर याद आते हैं
-हसरत मोहानी
umabua
18-05-2013, 01:57 PM
'शाएर' उनकी दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं संभल जाते हैं लोग
हिमायत अली 'शाएर'
ठोकरें खा कर तो सुनते हैं संभल जाते हैं लोग
हिमायत अली 'शाएर'
ajaythegoodguy
24-05-2013, 01:24 PM
इन्तजार के फूल तुमसे न तोड़े जाएंगे शोना
शाखे मोहब्बत में, एक कली सदियों में खिलती है।
शाखे मोहब्बत में, एक कली सदियों में खिलती है।
ajaythegoodguy
24-05-2013, 01:25 PM
शर्मों हया से उनकी पलकों का झुकना इस तरह ''शौक''
जैसे कोई फूल झुक रहा हो एक तितली के बोझ से।
जैसे कोई फूल झुक रहा हो एक तितली के बोझ से।
ajaythegoodguy
24-05-2013, 01:27 PM
जुल्फ आपकी परेशां हो हजारों अश्आर बन जाए
और जो सँवर जाए तो एक ग़ज़ल बन जाए।
और जो सँवर जाए तो एक ग़ज़ल बन जाए।
ajaythegoodguy
24-05-2013, 01:32 PM
जिन्दगी अपने आखरी मुकाम पे आके कहाँ आसरा पाती है
जैसे कांटे की नोंक पे, पानी की एक बूंद ठहर जाती है।
जैसे कांटे की नोंक पे, पानी की एक बूंद ठहर जाती है।
vedant thakur
24-05-2013, 11:45 PM
देख तो दिल के जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
vedant thakur
24-05-2013, 11:46 PM
दिल का क्या हो गया, ख़ुदा जाने
क्यों है ऐसा उदास क्या जाने
क्यों है ऐसा उदास क्या जाने
vedant thakur
24-05-2013, 11:47 PM
दिल ले के मुफ़्त, कहते हैं कुछ काम का नहीं
उल्टी शिकायतें हुईं, एहसान तो गया
उल्टी शिकायतें हुईं, एहसान तो गया
vedant thakur
24-05-2013, 11:47 PM
दिल में अब यूं तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
जैसे बिछड़े हुए क़ाबे में सनम आते हैं
जैसे बिछड़े हुए क़ाबे में सनम आते हैं
vedant thakur
24-05-2013, 11:48 PM
दिल नाउमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
vedant thakur
24-05-2013, 11:48 PM
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
vedant thakur
24-05-2013, 11:49 PM
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यों
रोयेंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यों
रोयेंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यों