two line shayari a hug collection 18 दो लाइन शायरी का अब तक का सबसे बड़ा संग्रह 18

हर मोड़ पर मुकाम
नहीं होता.
दिल के रिश्तों का कोई
नाम नहीं होता.
चिरगों की रोशनी से
ढूँढा है आपको.
आप जैसा दोस्त
मिलना आसान
नहीं होता.
KAVI SAAHAB
25-11-2013, 10:30 PM
हर मोड़ पर मुकाम
नहीं होता.
दिल के रिश्तों का कोई
नाम नहीं होता.
चिरगों की रोशनी से
ढूँढा है आपको.
आप जैसा दोस्त
मिलना आसान
नहीं होता.


मिल कर गले लग गये आज् यार पुराने
फिर याद आ गए वो लह्में पुराने >>



(c)कवी साह्ब >>
KAVI SAAHAB
25-11-2013, 11:49 PM
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है,
मुझे अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है

<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<< अज्ञात
arman 007
26-11-2013, 07:43 AM
जफा जो इश्क में होती है वो जफा ही नहीं
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं

जनाब अल्लामा इकबाल साहब
arman 007
26-11-2013, 07:59 AM
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ऐ जिंदगी तू ही बता कैसे तुझे प्यार करूं मैं
तेरी हर सांस मेरी उम्र घटा देती है !!
arman 007
26-11-2013, 08:14 AM
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बहुत नाज़ था मुझे अपने चाहने वालों पे
मैं अज़ीज़ था सबको मगर ज़ुरुरतों के लिए !!!
KAVI SAAHAB
26-11-2013, 10:15 PM
बहुत नाज़ था मुझे अपने चाहने
वालों पे
मैं अज़ीज़ था सबको मगर
ज़ुरुरतों के लिए !!!

bahut khub
ajaythegoodguy
27-11-2013, 10:19 AM
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में…
ajaythegoodguy
27-11-2013, 10:28 AM
मुहब्बत नासमझ होती है, समझाना ज़रूरी है,
जो दिल में है, उसे आँखों से कहलाना ज़रूरी है।

उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है,
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है।

नई उम्रों की ख़ुदमुख्तारियों को कौन समझाये,
कहाँ से बच के चलना है, कहाँ जाना ज़रूरी है ।

बहुत बेबाक आँखों में त’अल्लुक़ टिक नहीं पाता,
मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है।

सलीका ही नहीं, शायद उसे महसूस करने का,
जो कहता है ख़ुदा है, तो नज़र आना ज़रूरी है।
arman 007
27-11-2013, 03:09 PM
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वो अपने ही होते हैं जो लफ्जों से मार देते हैं
वरना गैरों को क्या खबर के दिल किस बात पे दुखता है !!!!
arman 007
27-11-2013, 03:26 PM
दो चार नही मुझे फखत एक ही दिखा दो "दोस्त"
वो शख्स जो अंदर से भी बाहर जैसा हो
fullmoon
28-11-2013, 11:36 AM
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वो अपने ही होते हैं जो लफ्जों से मार देते हैं
वरना गैरों को क्या खबर के दिल किस बात पे दुखता है !!!!


सुन्दर, अति सुन्दर शेर
वास्तविकता से परिपूर्ण शेर....
fullmoon
28-11-2013, 11:43 AM
कभी कभी यूँ भी हमने अपने दिल को बहलाया है
जिन बातों को खुद नहीं समझे ओरोँ को समझाया है


<<<<<जनाब निदा फाजली

बहुत खूब जनाब कवि साब
क्या शेर लिखा है
fullmoon
28-11-2013, 11:50 AM
सूरज , सितारे , चाँद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे
और शाखों जो टूट जाये वो पत्ते नही है हम
आंधी से कोई कहे दी की औकात में रहे
fullmoon
28-11-2013, 11:51 AM
कौन सी बात, कब ,कैसे कही जाती है
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है
fullmoon
28-11-2013, 11:52 AM
मेरी बेकरारी देखी है ,कभी सब्र भी देख,
मैं इतना खामोश हो जाउंगा तू चिल्ला उठेगा.....
fullmoon
28-11-2013, 11:53 AM
हर बार तोडा दिल तूने इस क़दर संग-दिल
गर जोड़ता टुकड़े तो ताजमहल बनता
fullmoon
28-11-2013, 11:54 AM
मेरे होठों को दे देना ज़माने भर की तिश्नगी,
मगर उसके लबों को इक नदी की कैफियत देना
मैं उसकी आँख के हर खवाब में कुछ रंग भर पाऊँ,
मेरे अल्लाह मुझको सिर्फ इतनी हैसियत देना॥
fullmoon
28-11-2013, 11:54 AM
देखकर सोचा तो पाया फासला ही फासला
और सोचकर देखा तुम मेरे बहुत करीब थे
fullmoon
28-11-2013, 11:55 AM
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी
arman 007
29-11-2013, 05:38 AM
कौन सी बात, कब ,कैसे कही जाती है
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है
बहुत खूब फुल मून जी ,एक नसीहत आमेज़ शेर के लिए धन्यवाद !


मुद्दतों बाद ये दस्तक कैसी
जरूर कोई मतलबी होगा !!
arman 007
29-11-2013, 12:50 PM
न शिकायतें न सवाल है ,कोई आसरा न मलाल है
तेरी बेरुखी भी कमाल थी ,मेरा जब्त भी कमाल है !!
ajaythegoodguy
29-11-2013, 08:40 PM
बिना लिबास आये थे हम इस जहान में, बस इक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा।
ajaythegoodguy
29-11-2013, 08:43 PM
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बतलाएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है
ajaythegoodguy
29-11-2013, 08:46 PM
रो रही है हर कली सारा चमन नाशाद है,
कौन कहता है कि गाँधी का वतन आज़ाद है।
CHHUPA RUSTEM
29-11-2013, 08:56 PM
बिना लिबास आये थे हम इस जहान में, बस इक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा।

बहुत खूब .....................
arman 007
01-12-2013, 02:22 PM
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हम अपने अहद की खुशियाँ खरीदते कैसे
हमारी जेब में पिछली सदी के सिक्के थे !!
sultania
01-12-2013, 02:58 PM
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हम अपने अहद की खुशियाँ खरीदते कैसे
हमारी जेब में पिछली सदी के सिक्के थे !!

लाजवाब ,बहुत अच्छे ,,वाह
donsplender
01-12-2013, 04:16 PM
बिना लिबास आये थे हम इस जहान में, बस इक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा।


बहुत खूब ..........!
donsplender
01-12-2013, 04:18 PM
मुद्दतों बाद ये दस्तक कैसी
जरूर कोई मतलबी होगा !!.......

बहुत अच्छे...!!
sultania
01-12-2013, 04:25 PM
बिना लिबास आये थे हम इस जहान में, बस इक कफ़न की खातिर इतना सफ़र करना पड़ा।

बहुत ही यथार्थ ,सभी मनुष्यो पे लागू
arman 007
01-12-2013, 10:37 PM
फिर उसकी हर अदा से छलकने लगा खुलूस
जब मुझको ऐतबार की आदत नहीं रही
arman 007
01-12-2013, 10:53 PM
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फिर न हिम्मत हुयी सवालों की
इस क़दर मुख्तसर जवाब मिला
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:45 AM
जो रिश्ते हैं हक़ीक़त में वो अब रिश्ते नहीं होते
हमें जो लगते हैं अपने वही अपने नहीं होते

कशिश होती है कुछ फूलों में ,पर ख़ुशबू नहीं होती
ये अच्छी सूरतों वाले सभी अच्छे नहीं होते
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:47 AM
वतन की जो तरक़्क़ी है अभी तो वो अधूरी है
वो घर भी हैं, दवाई के जहाँ पैसे नहीं होते

इन्हें जो भी बनाते हैं वो हम तुम ही बनाते हैं
किसी मज़हब की साजिश में कभी बच्चे नहीं होते
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:47 AM
सभी के पेट को रोटी, बदन पे कपड़े,सर पे छत
बहुत अच्छे हैं ये सपने मगर सच्चे नहीं होते

पसीने की सियाही से जो लिखते हैं इरादों को
उनके मुक़द्दर के सफ़े कोरे नहीं होते
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:54 AM
कोई मौक़ा नहीं मिलता हमें अब मुस्कुराने का
बला का शौक़ था हम को कभी हँसने-हँसाने का
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:55 AM
जिनके आँगन में अमीरी का शजर लगता है,
उसका हर ऐब ज़माने को हुनर लगता है

(शजर = पेड़)
ajaythegoodguy
02-12-2013, 09:58 AM
गुनहगारों में शामिल हैं, गुनाहों से नहीं वाक़िफ़,
सज़ा को जानते हैं हम, ख़ुदा जाने ख़ता क्या है?
ajaythegoodguy
02-12-2013, 10:01 AM
ख़ुदा जाने मेरा क्या वज़्न है उनकी निगाहों में?
सुना है आदमी को वोह नज़र में तोल लेते हैं
arman 007
02-12-2013, 09:20 PM
एक ख्वाब से दिल मे गुबार सा उठा
मगर कहा दिल ने ये साथ कहाँ मुमकिन है


तूही बता के दिल यकीं करे भी तो कैसे
तेरे हाथो मे मेरा हाथ ,,,,,,,,,,,,,कहाँ मुमकिन है


कैसे मुमकिन हे फिर खामोश रह जाना
ज़िक्र-ए- मोहब्बत हो और ना हो तेरी बात
कहाँ मुमकिन है


नादिया के दो किनरो सी हे क़िस्मत अपनी
साथ चलते हैं, पर हो साथ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहाँ मुमकिन है


और जेसे फैली हे तपिश गम की फिज़ाओं मे दिल के
अब ना हो बरसात ..............कहा मुमकिन है


यू तो बिछड़ के तुझसे ना कभी , ज़िक्र-ऐ- जुदाई की हमने
पर सो कर कटी हे फिर कोई रात ................कहा मुमकिन है
arman 007
03-12-2013, 08:40 AM
ऐसे जख्मों का क्या करे कोई
जिन्हें मरहम से आग लग जाए !
CHHUPA RUSTEM
09-12-2013, 10:18 PM
एक ख्वाब से दिल मे गुबार सा उठा
मगर कहा दिल ने ये साथ कहाँ मुमकिन है
यू तो बिछड़ के तुझसे ना कभी , ज़िक्र-ऐ- जुदाई की हमने
पर सो कर कटी हे फिर कोई रात ................कहा मुमकिन है

बहु खूब जी बहुत दर्द भरी रचना है जी
CHHUPA RUSTEM
09-12-2013, 10:19 PM
ए सबा तू तो उधर से ही गुजरती होगी
उस गली में मैरे पेरों के निशां कैसे हैं ?
राही मासूम रजा
CHHUPA RUSTEM
09-12-2013, 10:20 PM
में तो पत्थर था मुझे फेंक दिया ठीक किया
आज उस शहर में शीशे के मकां कैसे हैं ?


राही मासूम रजा
CHHUPA RUSTEM
09-12-2013, 10:23 PM
हम भी हैं वनवास में लेकिन राम नहीं हैं राही
आए अब समझाकर कोई हमको घर ले जाये
CHHUPA RUSTEM
09-12-2013, 10:27 PM
पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है
पर तू जरा भी साथ दे तो और बात है

कुअंर बेचैन
pkj21
10-12-2013, 12:01 PM
अभद्र भाषा का प्रयोग करना वर्जित है |
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:19 PM
कैसे मुमकिन है ख़ामोशी से फ़ना हो जाऊँ
कोई पत्थर तो नहीं हूँ कि ख़ुदा हो जाऊँ

गर इजाज़त दे ज़माना तो मैं जी लूँ इक ख़्वाब
बेड़ियाँ तोड़ के आवारा हवा हो जाऊँ
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:22 PM
हमसे पूछो के ग़ज़ल मांगती है कितना लहू
सब समझते हैं ये धंधा बड़े आराम का है

प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं मानू वरना ,
तू समन्दर है तो होगा मेरे किस काम का है
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:25 PM
इरादे जिस दिन से उड़ान पर हैं।
हजारों तीर देखिये कमान पर हैं।

लोग दे रहे हैं कानों में उँगलियाँ,
ये कैसे शब्द आपकी ज़ुबां पर है।

मेरा सीना अब करेगा खंजरों से बगावत,
कुछ भरोसा सा इसके बयान पर हैं।

झुग्गियों की बेबसी तक भी क्या पहुंचेगी,
ये बहस जो गीता और कुरान पर है।

मक्कारों और चापलूसों से दो चार कैसे होगा,
तेरे पैर तो अभी से थकान पर है ।
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:29 PM
नुमाइश पर बदन की यूँ कोई तैयार क्यों होता
अगर सब घर के हो जाते तो ये बाज़ार क्यों होता
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:34 PM
हमें तुम्हारी ज़रुरत सही मगर, फिर भी
हमारे वास्ते दिल से लड़ाई मत करना

जहाँ से जी न लगे तुम वहीँ बिछड़ जाना,
मगर ख़ुदा के लिए बेवफाई मत करना

जो लोग कम हों तो कांधा ज़रूर दे देना,
सरहाने आके मगर भाई भाई मत कहना
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:40 PM
किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंज़िल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा ।

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा ।
ajaythegoodguy
10-12-2013, 08:41 PM
घर से निकले थे कि दुनिया ने पुकारा था 'फ़राज़',
अब जो फुर्सत मिले दुनिया से तो घर जाएँ कहीं ।
donsplender
10-12-2013, 11:21 PM
बहुत बढीया... एक से बढ कर एक..!!!
arman 007
11-12-2013, 12:59 AM
मेरी तुम बेबसी देखो......
मुझे तुम से मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं आता
arman 007
11-12-2013, 01:00 AM
जिस को भी देखा उसे मुखलिस ही पाया
बहुत फरेब दिया है मेरी निगाह ने मुझे
arman 007
11-12-2013, 01:01 AM
हमे पता था कि तेरी मुहब्बत के जाम में ज़हर है
लेकिन तेरे पिलाने में खुलूस इतना था कि हम ठुकरा न सके
arman 007
11-12-2013, 01:02 AM
राहे मुहब्बत में अजब सा हुआ है हाल अपना
न जख्म नजर आता है न दर्द सहा जाता है
arman 007
11-12-2013, 01:05 AM
ला तेरे पैरों में मरहम लगा दूँ ऐ दोस्त
मेरे दिल को ठोकर मारने से चोट तो आई होगी
arman 007
11-12-2013, 01:09 AM
तुझ पे चाहतों की इंतिहा की थी मैं ने
बता तुझे किसी और का होने जरूरत क्या थी ?
arman 007
11-12-2013, 01:10 AM
हम को टालने का शायद तुम को सलीक़ा आ गया है
बात करते तो हो लेकिन , अब तुम अपने नहीं लगते
arman 007
11-12-2013, 01:11 AM
फिर कभी नही हो सकती महोबबत सुना तुम ने ''




वो शख्स भी एक था ओर मेरा दिल भी एक है
arman 007
11-12-2013, 01:12 AM
हर शख्स नही होता हर शख्स के काबिल
हर शख्स को अपने लिए सोचा नहीं करते
arman 007
11-12-2013, 01:13 AM
अब फिर पूछते हो मक़ाम अपना
कह तो दिया "ज़िन्दगी हो तुम"
arman 007
11-12-2013, 01:14 AM
मेरे सब्र का न ले इम्तिहाँ मेरी ख़ामोशी को सजा न दे
जो तेरे बगैर न जी सका उसे ज़िन्दगी कि दुआ न दे
arman 007
11-12-2013, 01:16 AM
सोचा था उस से बिछडेंगे तो मर जायेंगे हम
जानलेवा खौफ था बस, हुआ कुछ भी नही
arman 007
11-12-2013, 01:17 AM
मेरी दास्ताँ ऐ गम पर ये सुकूत ऐ बेनियाज़ी
कोई जैसे सुन रहा हो किसी अजनबी की बातें
arman 007
11-12-2013, 01:19 AM
सुनना चाहते हैं एक बार आवाज़ आप की....


मगर बात करने का बहाना नहीं आता!!
arman 007
11-12-2013, 01:21 AM
जिस्म में दर्द का बहाना सा बना कर


हम टूट के रोते हैं तेरी याद में अक्सर..!!
arman 007
11-12-2013, 01:22 AM
उनसे कहना कि ये "तुम" ही थे जिनसे हमे मुहब्बत हो गयी
वरना हम खुद ही गुलाब हैं खुशबु की तमन्ना नही करते
arman 007
11-12-2013, 01:23 AM
जरा सा झूट ही कह दो
के मेरे बिन अधूरे हो
arman 007
11-12-2013, 01:24 AM
हम तो हंसते हैं दूसरों को हंसाने की खातिर मोहसिन
वरना दिल पे जख्म इतने हैं कि रोया भी नहीं जाता
arman 007
11-12-2013, 01:28 AM
कभी खुद भी मेरे पास आ मेरी बात सुन मेरा साथ दे
जो खलिश है दिल से निकाल के मुझे उलझनों से निजात दे


तेरा सोचना मेरा मशगला तुझे देखना मेरी आरज़ू
मुझे दिन दे अपने ख़याल का मुझे अपने क़ुर्ब की रत दे


मैं अकाला भटकू कहाँ कहाँ ये सफ़र बहुत ही तवील है
मेरी ज़िंदगी मेरे साथ चल मेरे हाथों में अपना हाथ दे
arman 007
11-12-2013, 01:31 AM
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गुर्बत ने मेरे बच्चो को तहजीब सिखा दी
सहमे हुए रहते हैं शरारत नही करते
arman 007
11-12-2013, 01:34 AM
सुनो!
जिसकी फितरत थी बगावत करना
तुमने उस दिल पे हुकुमत की है
arman 007
11-12-2013, 01:35 AM
रात सारी गुजरती है इन हिसाबों में
उसे मुहब्बत थी ?नही थी?है?नहीं है ?
arman 007
11-12-2013, 01:37 AM
तुम दिल को लिए बैठे हो ?
इश्क नस्ले उजाड देता है
arman 007
11-12-2013, 01:39 AM
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बस मुहब्बत हमको उस से होनी थी सो हो गयी
अब नसीहत छोडिये साहब ,साथ दीजिए दुआ कीजिये !
arman 007
11-12-2013, 08:02 AM
बहुत मगरूर होते जा रहे हो
मुहब्बत में कमी करनी पडेगी
arman 007
11-12-2013, 08:04 AM
निकाल दो हमारे सीने से कमबख्त ये दिल
इसने लगा रखी है मुहब्बत,मुहब्बत,मु हब्बत
arman 007
11-12-2013, 08:05 AM
जरा सी चोट से शीशे की तरह टूट गया
दिल तो कमबख्त मेरा मुझसे भी बुजदिल निकला
arman 007
11-12-2013, 08:11 AM
ज़िन्दगी को मजाक समझा था ....
ज़िन्दगी ने मजाक कर डाला
arman 007
11-12-2013, 08:17 AM
कभी मेहेरबान था तो कभी अंजान था,
मेरा वहम था वो या मेरा गुमान था..


दे कर ज़ख़्म वो मरहम रखता था,
बन रहा था या वाकाई इतना नादान था..


मुझ से बिछड़ गया था वो एक रात,
वो शख्स जो मेरी पहचान था..


काश कि वो मिल जाता हम को हमदम ,
कितना इस दिल को इस बात का अरमान था..


खुदा को चाहते तो ककुछ मिल भी जाता,
हमने चाहा था जिसे वो तो एक इंसान था
arman 007
11-12-2013, 08:19 AM
और जमानत वफा की क्या होगी
तुम मेरी सांस गिरवी रख लो न
arman 007
11-12-2013, 08:22 AM
शिफा देता है जख्मों को उसका मरहमी लहजा
मगर जो दिल पे चलते हैं वो खंजर भी उसी के हैं
arman 007
11-12-2013, 08:26 AM
किस तरह खत्म कर सकते हैं तुमको याद करना
के तुमको सिर्फ याद करने से हम दुनिया भूल जाते हैं
arman 007
11-12-2013, 08:28 AM
रूह तक नीलाम हो जाती है बाज़ार ऐ इश्क में
इतना आसां नही होता किसी को अपना बना लेना
arman 007
11-12-2013, 08:30 AM
सिर्फ तुम.....
तुम्हे बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम
तुम्हे हंसना पसंद है मुझे हंसते हुए तुम
तुम्हे बात करना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम
तुम्हे सब कुछ पसंद है और मुझे सिर्फ तुम
arman 007
11-12-2013, 08:33 AM
फिर इतने मायूस क्यूँ हो उसकी बेवफाई पर
तुम खुद ही तो कहते थे वो सबसे जुदा है
arman 007
11-12-2013, 08:56 AM
ना गरज़ किसी से, न वास्ता,
मुझे काम अपने ही काम से,
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से,
तेरी याद से, तेरे नाम से..
donsplender
11-12-2013, 01:30 PM
एक से बढ कर एक जख्मी दिल के दर्द को बयां करते शेर अरमान भाई !! मुझे क्युं लगता है कि आपको किसी ने ये दर्द दिया है ...?
punjaban rajji kaur
11-12-2013, 02:34 PM
arman bhaiya bahut dinon baad vastav mein sutra ke naam k anusaar sher daale gye hn .warna logon ne to sms post karne shuru kr diye the .thank u .maza aa gya .keep it up ..
punjaban rajji kaur
11-12-2013, 02:53 PM
घर से निकले थे कि दुनिया ने पुकारा था 'फ़राज़',
अब जो फुर्सत मिले दुनिया से तो घर जाएँ कहीं ।


waah waah
waah waah
arman 007
12-12-2013, 05:49 AM
मेरे हालात पे मुस्कराते हो
बद्दुआ है कि तुझे भी इश्क हो जाये
donsplender
12-12-2013, 05:12 PM
मेरे हालात पे मुस्कराते हो
बद्दुआ है कि तुझे भी इश्क हो जाये

यानी मेरा अन्दाजा सही था !!!
मित्र हमारी दुआएं आपे साथ है..!!!
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:14 PM
मेरे दोस्त की पहचान यही काफी है
वो हर एक शख़्स को दानिस्ता ख़फ़ा करता है

(दानिस्ता = जान-बूझकर)
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:16 PM
मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी,
तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है ।

वो ज़िन्दगी हो कि दुनिया 'फ़राज़' क्या कीजे,
कि जिससे इश्क़ करो बेवफ़ा निकलती है ।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:17 PM
झेले हैं जो दुःख तूने 'फ़राज़' अपनी जगह हैं,
पर तुम पे जो गुज़री है वो औरों से कम है।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:18 PM
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो,
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं।

(पशेमाँ = लज्जित, शर्मिंदा)
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:20 PM
तुम भी ख़फ़ा हो लोग भी बरहम हैं दोस्तों,
अब हो चला यक़ीं कि बुरे हम हैं दोस्तों ।

(बरहम = नाराज़)
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:21 PM
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे 'फ़राज़'
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:23 PM
मेरे शिकवों पे उस ने हंस कर कहा
किस ने की थी वफ़ा जो हम करते
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:24 PM
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सोचा उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:25 PM
दाग़ दामन के हों, दिल के हों, या चेहरे के
कुछ निशां उम्र की रफ़्तार से लग जाते हैं
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:26 PM
तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें

(हिजाब = संकोच, पर्दा)
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:27 PM
वापसी का सफ़र अब मुमकिन न होगा
हम तो निकल चुके आँख से आंसू की तरह
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:27 PM
आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:29 PM
किसी बेवफ़ा की खातिर ये जुनूं कब तलक
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:30 PM
न मेरे ज़ख़्म खिले हैं न तेरा रंग-ए-हिना
मौसम आए ही नहीं अब के गुलाबों वाले
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:34 PM
शिद्दते दर्द से शर्मिंदा नहीं मेरी वफ़ा
दोस्त गहरे हैं तो फिर ज़ख्म भी गहरे होंगे
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:39 PM
कौन परेशां होता है तेरे ग़म से
वो अपनी ही किसी बात पे रोया होगा
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:39 PM
दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर.
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:45 PM
सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर
वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते
donsplender
12-12-2013, 07:56 PM
मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी,
तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है ।

वो ज़िन्दगी हो कि दुनिया 'फ़राज़' क्या कीजे,
कि जिससे इश्क़ करो बेवफ़ा निकलती है ।

बहुत खुब ..............!!
donsplender
12-12-2013, 07:58 PM
कौन परेशां होता है तेरे ग़म से
वो अपनी ही किसी बात पे रोया होगा


दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर.


सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर
वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते


बहुत खुब ............!!
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:58 PM
दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़मानेवाला।

तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।

[(तक़ल्लुफ़ = शिष्टाचार), (इख़लास = दोस्ती, मित्रता)]
ajaythegoodguy
12-12-2013, 07:59 PM
चढते सूरज के पुजारी तो लाखों हैं
डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:00 PM
ज़िन्दगी तो अपने कदमो पे चलती है
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:01 PM
कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ,
कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं ।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:02 PM
बरसों की रस्मो-राह थी इक रोज़ उसने तोड़ दी
हुशियार हम भी कम नहीं, उम्मीद हमने छोड़ दी

(रस्मो-राह = संबंध)
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:03 PM
इसे मैं लाख सँवारूँ इसे मैं लाख सजाऊँ,
अजब मकान है, कम्बख़्त घर नहीं बनता।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:03 PM
रुसवाइयों का ताज है ग़म की सलीब है,
इतना भी मिल गया है तो अपना नसीब है
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:04 PM
जा भी चुका वो, फिर भी मैं तन्हा नहीं अब तक,
सूरज के डूबते ही अँधेरा नहीं होता ।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:05 PM
ज़र का, ज़रूरतों का, ज़माने का, दोस्तों
करते तो हम भी हैं मगर इतना अदब नही

(ज़र = धन)

दुनिया से क्या शिकायतें, लोगों से क्या गिला
हमको ही ज़िन्दगी से निभाने का ढब नहीं
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:06 PM
निगल गए सब की सब समुंदर, ज़मीं बची अब कहीं नहीं है
बचाते हम अपनी जान जिसमे वो कश्ती भी अब कहीं नहीं है

बहुत दिनो बाद पाई फ़ुर्सत तो मैने ख़ुद को पलटके देखा
मगर मैं पहचानता था जिसको वो आदमी अब कहीं नहीं है

गुज़र गया वक़्त दिल पे लिखकर न जाने कैसी अजीब बातें
वरक़ पलटता हूँ मै जो दिल के तो सादगी अब कहीं नहीं है

(वरक़ = किताब के पन्ने, पृष्ठ)

वो आग बरसी है दोपहर मे कि सारे मन्ज़र झुलस गए हैं
यहाँ सवेरे जो ताज़गी थी वो ताज़गी अब कहीं नहीं है

तुम अपने क़स्बो में जाके देखो वहाँ भी अब शहर ही बसे हैं
कि ढूँढते हो जो ज़िंदगी तुम वो ज़िंदगी अब कहीं नहीं है
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:07 PM
बदन में क़ैद ख़ुद को पा रहा हूँ,
बड़ी तन्हाई है, घबरा रहा हूँ ।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:08 PM
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है,
हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:10 PM
तुम्हें भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फ़ुज़ूल गया
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:11 PM
उन चरागों में तेल ही कम था,
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे।
ajaythegoodguy
12-12-2013, 08:12 PM
अपनी वजहे-बरबादी सुनिये तो मज़े की है
ज़िन्दगी से यूँ खेले जैसे दूसरे की है
CHHUPA RUSTEM
12-12-2013, 09:14 PM
किसने जलायी बस्तियां बाज़ार क्यूँ लुटे
में चाँद पर गया था मुझे पता नहीं

बशीर बद्र
CHHUPA RUSTEM
12-12-2013, 09:17 PM
बता न पाई मेरे हाथ की लकीरें भी
लिखा है मेरे मुक्कदर में और क्या उसने
arman 007
12-12-2013, 10:08 PM
एक से बढ कर एक जख्मी दिल के दर्द को बयां करते शेर अरमान भाई !! मुझे क्युं लगता है कि आपको किसी ने ये दर्द दिया है ...?


यानी मेरा अन्दाजा सही था !!!
मित्र हमारी दुआएं आपे साथ है..!!!
दोस्त हमने तो अपने दर्द को एक सूत्र में पिरोया था लेकिन हमारी इस शायरी से मंच के एक मित्र का हृदय दुखने के कारण सूत्र रुका हुआ है !
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arman 007
12-12-2013, 10:11 PM
सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर
वो निगाह झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते
अति सुंदर.....
donsplender
12-12-2013, 11:42 PM
किसने जलायी बस्तियां बाज़ार क्यूँ लुटे
में चाँद पर गया था मुझे पता नहीं

बशीर बद्र


बता न पाई मेरे हाथ की लकीरें भी
लिखा है मेरे मुक्कदर में और क्या उसने

बहुत खुब शायर भाई ..!!!
कहां हो आजकल ? बहुत कम दिखते हो यहां ...!!
arman 007
13-12-2013, 10:39 AM
पलको के बंद को तोड़कर दमन पे आ गिरा
एक आंसू मेरे सब्र की तौहीन कर गया
arman 007
13-12-2013, 10:43 AM
तलाश ऐ वफा से क्यूँ खुदी को अज़ीयत देते हो
अब मान भी लो के दुनिया में कोई अपना नहीं होता

अज़ीयत-तकलीफ
arman 007
13-12-2013, 10:44 AM
अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है
हथेली पर जरा सी खाक रखना और उड़ा देना
arman 007
13-12-2013, 10:46 AM
हज़ारों गम छिपे हैं मेरी आगोश ऐ तबस्सुम में
मेरे एहबाब मेरी ज़िन्दगी के राज़ क्या जाने
arman 007
13-12-2013, 10:47 AM
माँ बाप का घर बिका तो बेटी का घर बिका
कितनी हैं दिल खराश हैं रस्मे जहेज भी
arman 007
13-12-2013, 10:51 AM
नजूमी ने तो मुझे परेशानी में डाल दिया
कहता है तुझे मौत नही ,किसी की याद मारेगी
arman 007
13-12-2013, 10:53 AM
जहाँ रिश्ते हवाओं की तरह बहने के आदी हो
वहाँ अपने तो होते हैं पर अपनापन नहीं होता


आदी-habitual
arman 007
13-12-2013, 10:57 AM
सब समझते हैं बात मतलब की
किस ने समझा है बात का मतलब
arman 007
13-12-2013, 10:58 AM
हश्र में ऐ खुदा न देना
फिर सजा कोई ज़िन्दगी जैसी
arman 007
13-12-2013, 11:00 AM
उसने भी दर्द ऐ हिज्र मुकद्दर में लिख दिया
मैंने भी भेज दी है जुदाई जवाब में

हिज्र=जुदाई
arman 007
13-12-2013, 11:02 AM
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तेरा क्या भरोसा ऐ हमसफर
तेरी मुख्तसर सी नवाज़िशें मेरा दर्द और बढा न दे
arman 007
13-12-2013, 11:04 AM
दूर इशारो से कभी बात नही होती
चंद आँसू बहाने से बरसात नही होती
यह ज़िंदगी कोई ख़्वाब नही हकीकत हे
आँखें बंद कर लेने से रात नही होती.
arman 007
13-12-2013, 11:07 AM
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जब वो लौटा तो देख कर बहुत रोया
हिज्र ने मिटटी में .......मिटटी मिला थी
arman 007
13-12-2013, 11:09 AM
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सोचा आज कुछ तेरे सिवा सोचूं
अभी तक इसी सोच में हूँ के और क्या सोचूं
arman 007
13-12-2013, 11:13 AM
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ये ज़ुल्म ,ये सितम,ये हुस्न ये तबस्सुम
बताओ तुम जल्लाद हो या हूर ऐ मुजस्सम
arman 007
13-12-2013, 11:21 AM
दिसम्बर के महीने का
वो शायद 12वां दिन था


कहीं गुज़रे बरस मैंने मोहब्बत लफ्ज़ लिखा था


किसी कागज़ के टुकड़े पर अचानक याद आया है


कहीं गुज़रे बरस मुझ को किसी से बात करनी थी


उसे कहना था जान ए जाँ मुझे तुम से मोहब्बत है


मगर मैं कह नही पाया वो कागज़ आज तक लिपटा पड़ा


है धूल मैं लेकिन किसी को दे नही पाया


दिसम्बर फिर से आया है दिसम्बर चला भी जाएगा


मगर!
दोबारा चाह कर भी मैं


“मोहब्बत”
कर नही पाया….
arman 007
13-12-2013, 11:24 AM
नाराज़ तुम नाराज़ हम ,कैसे मिटे फिर ये दूरियां
हम मुन्तजिर तुम बेखबर दोनों की हैं मजबूरियां
arman 007
13-12-2013, 11:30 AM
आज हमदर्द मुझे याद पुराने आए,
फिर तसव्वुर में वो ही गुज़रे ज़माने आए.


याद आई वो सर -ए-शाम की महफ़िल अपनी,
याद वो रात के कुछ खवाब सुहाने आए,


एक मुदत से मेरी आँख ने देखा ही नही
एक मंज़र जो मेरा चैन चुराने आए.


वो अगर मुझ से खफा है तो कोई बात नही,
वो किसी और से मिलने के बहाने आए.


मेरी इतनी ही तमन्ना है मेरे साथ चले,
कब ये कहता हूँ मेरे नाज़ उठाने आए. .
arman 007
13-12-2013, 11:49 AM
वो पिलाकर जाम लबों से अपनी मुहब्बत का
अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नही होती
arman 007
13-12-2013, 11:50 AM
बड़ी अजीब से बंदिश है उसकी मुहब्बत में
न वो क़ैद कर सके, न हम आज़ाद हो सके
arman 007
13-12-2013, 11:52 AM
बज्मे वफा में हमारी गरीबी न पूछ "ग़ालिब"
एक दर्दे दिल है वो भी किसी का दिया हुआ
arman 007
13-12-2013, 12:17 PM
पत्थरों की बस्ती मैं कारोबार शीशी का
कोई भी नही करता ऐतबार शीशी का


काँच से बने पुतले थोड़ी दूर चलते हैं
चार दिन का होता है ये खुमार शीशी का


बन संवार के हरजाई आज घर से निकला है
जाने कौन होता है फिर शिकार शीशी का


दिल के आज़माने को एक सांग काफ़ी है
बार बार नही लेना इम्तिहान शीशी का


फ़राज़ इस ज़माने मैं आरज़ी हैं सूब रिश्ते
हम ने भी बनाया था एक यार शीशे का



-फराज़ अहमद फराज़-
arman 007
13-12-2013, 12:19 PM
यूँ तो गम सबकी ज़िन्दगी में हैं
जब्त लेकिन किसी किसी में हैं
उसने सुन कर गजल कहाँ मेरी
कितना दुःख तेरी शायरी में है
arman 007
13-12-2013, 12:21 PM
क्या खूब होता कि यादे रेत होती
मुट्ठी से गिरा देते ,पाँव से उड़ा देते
arman 007
13-12-2013, 12:22 PM
तू मुझसे दूरी बढाने का शौक़ पूरा कर
मेरी भी जिद है तुझे हर दुआ में मांगूंगा
arman 007
13-12-2013, 12:26 PM
कोई रिश्ता टूट जाए दुख तो होता है
अपने हो ज़ाएँ पराये दुख तो होता है




हम मर जाएँ अहदे वफा निभाते निभाते
और उनको यक़ीन ना आए दुख तो होता है




हम रोज़ उनको करें याद अपनों की तरह
उन्हें हमारी याद ना आए दुख तो होता है...
arman 007
13-12-2013, 12:28 PM
कब दोगे निजात हूमें रात भर की तन्हाई से,
ऐ इश्क़ माफ़ भी कर, मेरी उम्र ही क्या है……
arman 007
13-12-2013, 12:30 PM
रोज़ रोते हुए कहती है ज़िन्दगी मुझे
सिर्फ एक शख्स की खातिर मुझे बर्बाद न कर
arman 007
13-12-2013, 12:31 PM
साँसों की मोहलत कब खत्म हो जाए मालूम नही
दुःख कोई मिला हो मेरी ज़ात से तो मुआफ कर देना
arman 007
13-12-2013, 12:32 PM
मुहब्बत का खुमार उत तो तब साबित हुआ
जिसे मंजिल समझते थे वो बेमकसद सफर निकला
arman 007
13-12-2013, 12:33 PM
न दुआ ने किया असर यूँ ही ,आंसुओं ने किया सफर
उसे मांग मांग के थक गए मेरा होंट भी मेरे हाथ भी
punjaban rajji kaur
13-12-2013, 12:35 PM
दोस्त हमने तो अपने दर्द को एक सूत्र में पिरोया था लेकिन हमारी इस शायरी से मंच के एक मित्र का हृदय दुखने के कारण सूत्र रुका हुआ है !
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abtak us par meri nazar pdi nahi thi .thanks for the link
arman 007
13-12-2013, 12:35 PM
कोई जन्नत का तालिब है कोई गम से परेशाँ है
गरज़ सजदा करवाती है ,इबादत कौन करता है

तालिब-इच्छुक
गरज़-इच्छा
arman 007
13-12-2013, 12:39 PM
फिर तेरी याद आ गयी झट से
हम तुझे भूलने ही वाले थे
arman 007
13-12-2013, 12:44 PM
उसके चेहरे की मासूमियत में इतना असर था
खरीद ली एक ही मुलाक़ात में ज़िन्दगी मेरी
arman 007
13-12-2013, 12:45 PM
हमारे मअयार का इंतिखाब कुछ भी हो लेकिन
जिसे हम चाहेंगे बेमिसाल कर देंगे
arman 007
13-12-2013, 12:46 PM
कुछ अपनी वफाओं ने लूटा कुछ अपनी इनायत मार गयी
हम राज़े मुहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गयी
arman 007
13-12-2013, 12:48 PM
मुझे ना इतना याद आओ के में खुद को "तुम" समझ बैठूं


मुझे एहसास रहने दो मेरी अपनी भी हस्ती है
arman 007
13-12-2013, 12:49 PM
इश्क हारा है तो दिल थाम के बैठे क्यूँ हो
तुम तो हर बात पे कहते थे "कोई बात नही"
arman 007
13-12-2013, 12:50 PM
तुम्हारी आँखों से दिल तक सफर करना है बस हम को
ये कितनी खूबसूरत मंजिलों का रास्ता होगा
arman 007
13-12-2013, 12:53 PM
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खाक मुट्ठी में लिए कब्र की ये सोचता हूँ
इंसान जो मर जाते हैं तो गुरुर कहाँ जाता है
donsplender
13-12-2013, 01:11 PM
पलको के बंद को तोड़कर दमन पे आ गिरा
एक आंसू मेरे सब्र की तौहीन कर गया


तलाश ऐ वफा से क्यूँ खुदी को अज़ीयत देते हो
अब मान भी लो के दुनिया में कोई अपना नहीं होता

अज़ीयत-तकलीफ


अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है
हथेली पर जरा सी खाक रखना और उड़ा देना

वाह !! बहुत खुब !
donsplender
13-12-2013, 01:16 PM
अरमान भाई आपके लिए यहां भी एक टिप्पणी है .!

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donsplender
13-12-2013, 01:19 PM
जहाँ रिश्ते हवाओं की तरह बहने के आदी हो
वहाँ अपने तो होते हैं पर अपनापन नहीं होता


आदी-habitual

वबल्कुल सही कहा !!
donsplender
13-12-2013, 01:21 PM
दूर इशारो से कभी बात नही होती
चंद आँसू बहाने से बरसात नही होती
यह ज़िंदगी कोई ख़्वाब नही हकीकत हे
आँखें बंद कर लेने से रात नही होती.


जीवन दर्शन का मूल मंत्र !!
donsplender
13-12-2013, 01:26 PM
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सोचा आज कुछ तेरे सिवा सोचूं
अभी तक इसी सोच में हूँ के और क्या सोचूं


बहुत खुब !! किसी की चाहत की गहराई इससे ज्यादा क्यां हो सकती है ?
arman 007
13-12-2013, 11:04 PM
मत पूछ हमसे हमारी बन्दगी का आलम ऐ इबलीस
गाफिल हैं मगर ठोकर लगे तो सजदा खुदा ही को करते हैं !


नोट-यह शेर अत्यंत जटिल है अगर किसी को समझने में इंटरेस्ट हो तो बताइयेगा !
arman 007
14-12-2013, 10:14 AM
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donsplender
14-12-2013, 01:25 PM
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बिल्कुल बजा फरमाया मित्र !!
AvinashiK
21-12-2013, 12:59 PM
visit to [Only registered and activated users can see links] for more such shayaris..
rehan0101
22-12-2013, 12:59 AM
बहोत खूब शेर है
rehan0101
22-12-2013, 01:02 AM
मत पूछ हमसे हमारी बन्दगी का आलम ऐ इबलीस गाफिल हैं मगर ठोकर लगे तो सजदा खुदा ही को करते हैं !नोट-यह शेर अत्यंत जटिल है अगर किसी को समझने में इंटरेस्ट हो तो बताइयेगा !बहोत ही बढ़िया भाई जिसे समज में आया उसे पुचो ये क्या चीज है
rehan0101
22-12-2013, 01:20 AM
टूट कर बिखर जाते है वो लोग मिटटी की दीवारों की तरह । जो खुद से भी जादा किसी और से मोहबत किया करते है ।।
rehan0101
22-12-2013, 01:22 AM
पानी से तस्वीर कहा बनती है,ख्वाबों से तकदीर कहा बनती है,किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ,ये जिंदगी फिर वापस कहा मिलती हैकौन किस से चाहकर दूर होता है,हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,हम तो बस इतना जानते है,हर रिश्ता "मोती"और हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।।
rehan0101
22-12-2013, 01:24 AM
मैं बिना पत्थर के ही आईने से लड़ने गयाइस तरह से दुश्मनी में प्यार मैं करने गयाइक हसीना चांद लेटी बादलों की सेज परमैं नदी में डूबकर उस साये को छूने गयारात भर रोया फलक आशिक के संग जागकरमैं भी दुनिया छोड़कर मातम वहीं करने गयावो दीया जो जल रहा है मेरे उजड़े आशियां मेंमैं उसी की रोशनी में उम्रभर जलने गया....!!
rehan0101
22-12-2013, 01:26 AM
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न थासामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था।वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार सूमैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था।रात भर पिछली ही आहट कान में आती रहीझाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था।ख़ुद चढ़ा रखे थे तन पर अजनबीयत के गिलाफ़वर्ना कब एक दूसरे को हमने पहचाना न था।याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था।
rehan0101
22-12-2013, 01:45 AM
दिल-ओ-जान से जादा करेंगे गे हिफाज़त उस की..! एक बार वो कहे तो दे के मै अमानत हूँ तेरी... !!
rehan0101
22-12-2013, 01:49 AM
वो तो सदियों का सफ़र कर के यहाँ पहोचा था......तूने मुह फेर के जिस शख्स को देखा नहीं ...
arman 007
24-12-2013, 07:43 PM
आदम के किसी रूप की तह्कीर न करना
फिरता है ज़माने में खुदा भेस बदलकर
aladin
25-12-2013, 11:03 PM
vaah kya baat hai...bahut khoob
arman 007
28-12-2013, 09:08 PM
वो एक बात बहुत तल्ख कही थी उसने
बात तो याद नही, याद है लहजा उसका
arman 007
28-12-2013, 09:32 PM
उलझी निगाहों से मुसलसल मुझे देखता रहा
आईने में खड़ा शख्स परेशान बहुत था
arman 007
28-12-2013, 09:48 PM
तर्क ऐ तअल्लुक पे रोया न तू न मैं
लेकिन ये क्या के चैन से सोया न तू न मैं
arman 007
30-12-2013, 08:01 PM
दिल पाक नही तो पाक हो नही सकता इंसान
वरना इबलीस को भी आते थे वजू के फराईज बहुत
arman 007
30-12-2013, 08:03 PM
मैंने कब कहा मैं हसीन हूँ या मुहब्बतों की अमीन हूँ
मेरी गुफ्तुगू मेरा आईना मेरा जोक मेरी मिसाल है
arman 007
01-01-2014, 07:33 PM
बहुत सोचा कि पूरे साल तेरी याद क्यूँ आती है
अब समझ आया कि ये साल ही 13 था
rehan0101
02-01-2014, 11:34 AM
गूमरई का शऊर ले डूबा
बस यही एक कसूर ले डूबा
खूबिया तूझमे थि बहूत लेकिन
तूझको तेरा गूरूर ले डूबा...
rehan0101
02-01-2014, 11:36 AM
vaah kya baat hai...bahut khoob

शुक्रिया अलादीन भाई
rehan0101
02-01-2014, 11:39 AM
दौलत की भूख ऐसी की कमाने निकल गए ।
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए ।
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत ना मिल सकी ।
और जब फुर्सत मिली तो बच्चे खुद ही दौलत कमाने निकल गए ।
rehan0101
02-01-2014, 11:41 AM
एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,

रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।

बंदों से क्या, रब से भी कुछ नहीं माँगा
मैं मुफलिसी में भी नवाबी शान रखता हूँ।

मुर्दों की बस्ती में ज़मीर को ज़िंदा रख कर,
ए जिंदगी मैं तेरे उसूलों का मान रखता हूँ।
rehan0101
02-01-2014, 11:42 AM
वो मुझसे मेरी खामोशी की वजह पूछता है;
कितना पागल है रात के सनाटे की वजह पूछता है;
वो मुझसे मेरे आँसू की वजह पूछता है;
कितना पागल है बारिश के बरसने की वजह पूछता है;
वो मुझसे मेरी मोहब्बत के बारे में पूछता है;
कितना पागल है खुद अपने बारे में पूछता है;
वो मुझसे मेरी वफ़ा की इंतेहा पूछता है;
कितना पागल है साहिल पे रह कर, समुद्र की गहराई पूछता है।
rehan0101
02-01-2014, 11:46 AM
817168

किशी शायर ने लिखा हूवा कलम
rehan0101
02-01-2014, 11:55 AM
दिल पाक नही तो पाक हो नही सकता इंसान
वरना इबलीस को भी आते थे वजू के फराईज बहुत

क्या बात है अरमान भाई बहोत खोब
rehan0101
02-01-2014, 11:56 AM
बहुत सोचा कि पूरे साल तेरी याद क्यूँ आती है
अब समझ आया कि ये साल ही 13 था

अरमान भाई मान गए आपको
rehan0101
02-01-2014, 11:57 AM
मैंने कब कहा मैं हसीन हूँ या मुहब्बतों की अमीन हूँ
मेरी गुफ्तुगू मेरा आईना मेरा जोक मेरी मिसाल है

बहोत ही लफ्ज है भाई
rehan0101
02-01-2014, 12:34 PM
"जिंदगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सको,
ले लो क्योंकि जिंदगी जब लेना शुरू करती है सांस भी बाकी नहीं छोडती.
"
rehan0101
02-01-2014, 12:35 PM
"""फूलो से सजे गुलशन की ख्वाइश थी हमें,
मगर जीवनरूपी बाग़ में खिल गए कांटे,
अपना कहने को कोई नहीं है यहाँ,
दिल के दर्द को हम किसके साथ बांटे.""
"
rehan0101
02-01-2014, 12:35 PM
हर यादों में उनकी याद रहती है,
मेरी आँखों को उनकी तलाश रहती है,
दुवा करो वो मुझको मिल जाए यारो,
सुना है दोस्तों की दुआ में फरिश्तों की आवाज़ होती है.
rehan0101
03-01-2014, 06:52 PM
यह शहर जालिमोका हैजरा संभलकर चलयेगालोग सिनेसे लगाकरदिल हि निकाल देते है...
rehan0101
03-01-2014, 08:08 PM
मुझे इतनी फुर्सत कहाँ कि मैं तक़दीर का लिखा देखूं; बस अपने दोस्तों की मुस्कराहट देख कर समझ जाता हूँ कि मेरी तक़दीर बुलंद है..!!
rehan0101
04-01-2014, 02:18 PM
"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ.

मालूम हे कोई मोल नहीं मेरा.....
फिर भी,
कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ......!
sombirnaamdev
05-01-2014, 11:59 AM
umda sutra ke dhanyaad
ajaythegoodguy
05-01-2014, 12:59 PM
हम रोए तो लगा ज़माना रोता है
रोज़ यहाँ इक नया फ़साना होता है

कहीं खनकते जाम ख़ुशी के गीत कहीं
कोई भूखे पेट बेचारा सोता है

नहीं वक़्त पर कर पाता जो निर्णय वो
बीच भँवर में फँसकर नाव डुबोता है

दामन अपना खाली देख दुखी मत हो
उतना ही मिलता है जितना बोता है

रिश्ते नाते प्यार वफ़ा सब बेमानी
रिश्ता केवल मजबूरी का होता है
ajaythegoodguy
05-01-2014, 01:00 PM
ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

माँ की आगोश में कल मौत की आगोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले
ajaythegoodguy
05-01-2014, 01:02 PM
सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद है
दिल पे रख के हाथ कहिए देश क्या आजाद है

(नाशाद = दुखी)

कोठियों से मुल्क के मेआर को मत आंकिए
असली हिन्दुस्तान तो फुटपाथ पे आबाद है

(मेआर = मानदंड)

जिस शहर में मुंतज़िम अंधे हो जल्वागाह के
उस शहर में रोशनी की बात बेबुनियाद है

(मुंतज़िम = प्रबंधक, व्यवस्थापक),

ये नई पीढ़ी पे मबनी है वहीं जज्मेंट दे
फल्सफा गांधी का मौजूं है कि नक्सलवाद है

[(मबनी = निर्भर), (मौजूं = उचित, उपयुक्त)]

यह ग़ज़ल मरहूम मंटों की नजर है, दोस्तों
जिसके अफसाने में ‘ठंडे गोश्त’ की रुदाद है


(रुदाद = वृतांत, विवरण)
ajaythegoodguy
05-01-2014, 01:05 PM
चाँद में बुढ़िया, बुज़ुर्गों में ख़ुदा को देखें
भोले अब इतने तो ये बच्चे नहीं होते हैं

कोई याद आए हमें, कोई हमें याद करे
और सब होता है, ये क़िस्से नहीं होते हैं
ajaythegoodguy
05-01-2014, 01:06 PM
कोई मौक़ा नहीं मिलता हमें अब मुस्कुराने का
बला का शौक़ था हम को कभी हँसने-हँसाने का

हमें भी टीस की लज्ज़त पसंद आने लगी है क्या
ख़याल आता नहीं ज़ख्मों पे अब मरहम लगाने का
ajaythegoodguy
05-01-2014, 01:10 PM
हालात से तंग आकर ये सोचना पड़ता है,
कमज़र्फ़ के हाथों में क्यूँ इल्मो-हुनर आया।
-शायर: नामालूम

[(कमज़र्फ़ = ओछा, नीच), (इल्मो-हुनर = शिक्षा एवं कला)]
rehan0101
05-01-2014, 01:41 PM
मैं लोगों से मुलाकातों का लम्हा याद रखता हूँ,

बातें भूल भी जाऊँ पर लहजा याद रखता हूँ...
rehan0101
05-01-2014, 01:44 PM
होती है लाखों ग़मो की दवा नींद भी मगर,

होते है कुछ ऐसे ग़म भी जो सोने नहीं देते...
rehan0101
05-01-2014, 01:48 PM
आदत थी......मेरी सबसे हँस के बातें करणा

ये मेरा शौक ही मुझे......बदनाम कर गया...
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 09:16 PM
बहुत खुब शायर भाई ..!!!
कहां हो आजकल ? बहुत कम दिखते हो यहां ...!!

सलाम डॉन भाई में अपने छुपे स्थानों में ही हूँ जी
आशा करता हु की आपने भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लिया होगा


सितम भी करता है उसका सिला भी देता है
कि मेरे हाल पे वो मुस्करा भी देता है
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 09:18 PM
न कर शुमार कि हर शै गिना नहीं जाती
ये जिंदगी है हिसाबों से जी नहीं जाती
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 09:21 PM
खुदा के हाथों में मत सौंप सारे कामों को
बदलते वक्त पर कुछ अपना इख्तियार भी रख
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 09:23 PM
मोहब्बत में क्या-क्या मुकाम आ रहे हैं
कि मंजिल पे हैं और चले जा रहे हैं।

ये कह-कहके हम दिल को बहला रहे हैं
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।
जिगर मुरादाबादी
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:01 PM
त़ुम में हिम्मत है तो दुनिया से बगावत कर दो।
वर्ना मां-बाप जहां कहते हैं शादी कर लो।।
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:05 PM
जिससे ये तबियत बड़ी मुश्किल से लगी थी
देखा तो वो तस्वीर हर एक दिल से लगी थी
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:07 PM
जो भी बिछड़े, वो कब मिले हैं फ़राज़
फिर भी तू इन्तज़ार कर शायद
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:10 PM
सर पे जिम्मेदारियों का बोझ है, भारी भी है।
डगमगाते पाँवों से लेकिन सफर जारी भी है।
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:12 PM
कुछ देर तक तो मैं सभी को देखता रहा
देखा उसे तो फिर उसी को देखता रहा
CHHUPA RUSTEM
05-01-2014, 11:26 PM
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था
हमीं सो गये दास्ताँ कहते कहते-कहते।
CHHUPA RUSTEM
06-01-2014, 05:22 PM
हमने इक शाम चराग़ों से सजा रक्खी है
शर्त लोगों ने हवाओं से लगा रक्खी है
CHHUPA RUSTEM
06-01-2014, 05:50 PM
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है
arman 007
10-01-2014, 10:05 PM
मेरी आँखों को देख कर एक साहिब ऐ इल्म बोला
तेरी संजीदगी बताती है तुझे हंसने का शौक़ था
arman 007
10-01-2014, 10:10 PM
बात सिर्फ इतनी है जिंदगी की राहों में
साथ चलने वालो को हमसफर नही कहते
arman 007
10-01-2014, 10:29 PM
उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता
मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहे
arman 007
10-01-2014, 10:38 PM
तुझे बर्बाद कर दूंगी अभी भी लौट जा वापस
मुझे कातिल भी कहते हैं मुहब्बत नाम है मेरा
chandni
11-01-2014, 04:41 PM
उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता
मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहेरकीब का मतलब ?
ranjit81
11-01-2014, 04:45 PM
Rakeeb ka matlab dushman (enemy)
arman 007
11-01-2014, 07:58 PM
रकीब का मतलब ?
दुश्मन .......................
arman 007
12-01-2014, 08:38 AM
मिटटी में मिला देती है हंसते हुए चेहरे
तकदीर को चेहरों की पहचान कहाँ है
arman 007
12-01-2014, 09:25 AM
बहुत नाज़ है तुझे अपने दोस्तों की मुहब्बत पे ऐ ''इंसान''
तेरे ही जनाज़े पे आ के पूछेंगे! कितनी देर है दफ़नाने में
arman 007
12-01-2014, 10:57 AM
किस किस से वफ़ा के वादे कर रखे हैं तूने फ़राज़!
हर रोज़ एक नया शख्स मुझसे तेरा नाम पूछता है
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