जारी है योगी के राज में भी खाकी वर्दी की हैवानियत


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14 Apr. 22:09

लखनऊ ब्यूरो-: ये तीन घटनाएं हैं। दो कानपुर की और एक आगरा की। तीनों अमानवीय और इनमें से एक तो रूह कपां देने वाली। कानपुर में खाकी वर्दी की दुस्साहसिक करतूत देखकर कहा जा सकता है कि पुलिस के प्रशासनिक तंत्र पर अभी भी मुख्य मंत्री की हनक का असर नहीं हो सका है। आगरा के एक दिब्यांग परिवार की दास्तान से लगता है कि सरकारी बैंकों में खाताधारियों से लूटखसोट का हथकंडा आज भी बदस्तूर कायम है। इसी के चलते पीडित दिब्यांग रवनीर सिंह का कहना है कि योगी सरकार में भी उनकी नहीं सुनी गयी, तो वह अपनी तीनों दिब्यांग संतानों के साथ आत्महत्या कर लेगे। उनके लिये इसके अलावा अब कोई और दूसरा रास्ता नहीं बचा है।

सबसे पहले कानपुर के एक चायवाले की रामकहानी। इसमें पीडित विवेक गुप्त थाना कल्याणपुर इलाके का है। यह पिछले कई सालों से चुन्नीगंज में विवेक टाकीज के सामने ठेला लगाकर चाय बेचता चला आ रहा है। पीडित विवेक का आरोप है कि इसी 12 अपै्ल को कोतवाली कर्नैलगंज में तैनात एक चौकी इंचार्ज का सहयोगी कांस्टेबिल ने यह कहकर इससे चार हजार रु की मांग की कि चौकी इंचार्ज को थाने के रखरखाव के लिये इसकी जरूरत है। इतने अधिक रु देने में अपनी मजबूरी बताने पर सिपाही यह धमकी देते हुए चला गया कि अब यह पैसा खुद चौकी इंचार्ज ही वसूलेंगे। इसके बाद उसी रात लगभग 11 बजे उक्त चौकी इंचार्ज के आकर पैसा मांगने परपीडित विवेक गुप्त जब अपनी मजबूरी जाहिर की तो उसकी जानवरों की तरह धुनाई शुरू कर दी गयी। पीटते पीटते जब डंडा टूट गया, तो बेल्ट से पिटाई की। पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) के पास शिकायत करने पर इस मामले की जांच के आदेश दिये गये हैं।

खाकी वर्दी की हैवानियत की दूसरी घटना भी इसी कानपुर नगर की ही है। इसमें पीडित है थाना चकेरी के तहत श्यामनगर में रहने वाला विवेक यादव। पुलिस ने इसकी भी इतनी जबरदस्त पिटाई की थी कि इसके शरीर की चमडी कई जगह उधड गयी थी। शरीर पर जगह जगह दिख रहे चोट के निशान यह बता रहे थे कि इसे भी जानवरों की ही तरह पीटा गया है।

आगरा के रहने वाले दिव्यांग रनवीर सिंह की व्यथाकथा तो रूह कपां देने वाली है। यह आगरा के शमशाबाद रोड पर कहरई मोहल्ले में रहता है। इसके तीन बेटियां हैं और सभी दिव्यांग।

पीडित रनवीर सिंह का कहना है कि आठ दस पहले उसने छह बीघे जमीन पर खेती करने के लिये किसी से रु उधार लिये थे। उसकी अदायगी न होने के कारण कर्ज बढता ही गयी। इस पर उसने बैंक से लाखों रु का कर्ज लिया। लेकिन, इसमें से अधिकांश रु बैंक कर्मचारियों ने अपने तरह तरह के हथकंडों से खसोट लिया। इसलिये उसके हाथ बहुत कम पैसा ही लग सका। नतीजतन, उसे अपने खेतों से भी हाथ धोना पड गया। अब बैंकवाले कर्ज की वसूली के लिये आये दिन उसे बुरी तरह जलील किया करते हैं। उसकी कोई सुनने वाला भी नहीं है। इस स्थिति में उसके पास अब एक ही रास्ता बचा है कि या तो रहमदिल मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ उसे इंसाफ दिलाये अन्यथा अपनी तीनों बेटियों के साथ वह आत्महत्या कर लेगा। वैसे भी, अब उसका परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच चुका है।

बैंक की लूटखसोद से त्रस्त दिव्यांग रनवीर सिंह अपनी तीनों दिव्यांग बेटियों के साथ

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