हमीं ग़ालिब से नादीम है हमीं तुलसी से शर्मिंदा
हमींने मीरको छोडा है मीरा छोड आए हैं
anita
15-01-2016, 09:11 PM
अगर लिखने पे आ जायें तो सियाही ख़त्म हो जाये
कि तेरे पास आयें है तो क्या-क्या छोड आये हैं
anita
15-01-2016, 09:12 PM
ग़ज़ल ये ना-मुक़म्मल ही रहेगी उम्र भर “राना”
कि हम सरहद से पीछे इसका मक़्ता छोड आयें है
anita
15-01-2016, 09:16 PM
ये था राना साहब का मुहाजिरनामा, इसका एक एक शेर लाजवाब है
जब पहली बार इसे पढ़ा था तो ऐसा लगा था की मेरी ही कहानी है इन शेरो में
मैं भी मुहाजिर ही हु, अपने घर परिवार, अपनी जमीन से दूर, ना जाने क्या क्या छोड़ आये है
बहुत रोई थी इसे पढने के बाद
एक से बढ़ कर एक शेर
उम्दा शायरी
fullmoon
17-01-2016, 05:07 PM
ये था राना साहब का मुहाजिरनामा, इसका एक एक शेर लाजवाब है
जब पहली बार इसे पढ़ा था तो ऐसा लगा था की मेरी ही कहानी है इन शेरो में
मैं भी मुहाजिर ही हु, अपने घर परिवार, अपनी जमीन से दूर, ना जाने क्या क्या छोड़ आये है
बहुत रोई थी इसे पढने के बाद
एक से बढ़ कर एक शेर
उम्दा शायरी
मैंने भी मोहाज़िरनामा पढ़ा है
और इसी सूत्र में उसके चुने हुए शेरो को डाला भी है
एक शब्द में .....शानदार
fullmoon
17-01-2016, 05:08 PM
वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिर.....
बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है......
Unregistered
23-01-2016, 08:03 PM
ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी न............
fullmoon
23-01-2016, 09:24 PM
ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी न............
अतिथि जी
बहुत अच्छी पोस्ट
अतिथि होने के कारन आपको रेपो नही दे पा रहा
Unregistered
26-01-2016, 04:28 PM
जान कर भी वो मुझे जान न पाए ,
आज तक वो मुझे पहचान ना पाए.
खुद ही की है बेवफाई हमने ,
ताकि उन पर कोई इल्जाम ना आये....
bahut bahut khoob...................
anita
31-01-2016, 09:21 PM
सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूँही तमाम होती है...
अमीरुल्लाह तस्लीम
anita
31-01-2016, 09:54 PM
हिन्दू चला गया न मुसलमाँ चला गया
इंसाँ की जुस्तुजू में इक इंसाँ चला गया
मजाज़
anita
31-01-2016, 09:59 PM
सुकूँ ही सुकूँ है ख़ुशी ही ख़ुशी है
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है
खुमार बाराबंकवी
sanjaychatu
01-02-2016, 10:46 AM
सुकूँ ही सुकूँ है ख़ुशी ही ख़ुशी है
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है
खुमार बाराबंकवी
तेरा गम सलामत , मुझे क्या कमी है ,,
वाह वाह , क्या बात कही शायर ने
sanjaychatu
01-02-2016, 10:48 AM
वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिर.....
बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है......
वाह मून जी , क्या मोती निकल लए राना साहब के ख़ज़ाने से
sanjaychatu
01-02-2016, 10:49 AM
ग़लतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं, खुदा तू भी नही, मैं भी नही
" तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नही
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ
वरना फितरत का बुरा तू भी नही, मैं भी न............
बहुत खूब भाई ,
साधुवाद आप को
garima
01-02-2016, 05:50 PM
काश कोई ऐसा हो जो गले लगाकर कहे
तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है।
garima
01-02-2016, 05:52 PM
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी
मुझे
कदमो की क्या बिसात थी साँसे ठहर गई
garima
01-02-2016, 06:41 PM
मौसम बहुत सर्द है
चल ऐ दोस्त गलतफहमियों को आग लगते है।
garima
01-02-2016, 06:44 PM
सोचा था खुदा के सिवाय कोई मुझे बर्बाद कर नहीं सकता
फिर उनकी मोहब्बत ने सरे वहम तोड़ दिए।
garima
01-02-2016, 06:46 PM
हमे अपना इश्क तो एकतरफा और अधूरा ही पसन्द है
पूरा होने पर तो आसमान का चाँद भी घटने लगता है।
garima
02-02-2016, 12:32 PM
सोचते थे नज़रन्दाज़ करेंगे उसे उसी की तरह,पर
नहीं कर सकते वो ज़ुल्म जिसका दर्द हम जानते है..!!
garima
02-02-2016, 12:32 PM
सब कुछ बदला बदला था जब बरसो बाद मिले;
.
हाथ भी न थाम सके वो इतने पराये से लगे।
garima
02-02-2016, 12:35 PM
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया मुझे...
प्यार चाहिए था तेरा एहसान नही...
garima
02-02-2016, 12:36 PM
मसला यह नहीं की मेरा दर्द कितना है...
मुद्दा ये है कि तुम्हें परवाह कितनी है...
garima
02-02-2016, 12:38 PM
इससे बढ़कर और क्या सितम होगा ,
वो चाहते भी हैं और कहते भी नहीं...'!!!
garima
02-02-2016, 12:39 PM
तू इश्क की कोई और निशानी दे मुझको ...ये आंसू तो रोज गिरकर सूख जाते हैं !!!
garima
02-02-2016, 12:41 PM
कुदरत ने लिखा था तुझको मेरी तमन्नाओं में,
मेरी किस्मत में तुम न थे...ये और बात है...!!!
garima
02-02-2016, 12:42 PM
झनकार से उसकी लड़ती रही होगी रात भर
मेरी दी हुई पायल ने उसे सोने न दिया होगा
garima
02-02-2016, 12:43 PM
चाह भी लूँ फिर भी ऐतबार नहीँ होता,
हर किसी के मुकद्दर में प्यार नही होता....
garima
02-02-2016, 12:44 PM
हमदर्द थे•••• हम-कदम थे••••• हमसफ़र थे••• हमनशीं थे •••• जो भी थे बस हम थे•••••• वो तो कभी थे ही नहीं ••••••
vinod09
02-02-2016, 01:07 PM
तू इश्क की कोई और निशानी दे मुझको ...ये आंसू तो रोज गिरकर सूख जाते हैं !!!वाह !!!!!!!!!!
क्या बात कही ...............
garima
02-02-2016, 01:55 PM
वाह !!!!!!!!!!
क्या बात कही ...............
शुक्रिया विनोद जी
gurlal singh
06-02-2016, 03:51 PM
तुम्हारे गुनगुनाने का कोई मतलब रहा होगा।
तुम्हारे मुस्कुराने का कोई मतलब रहा होगा।।
ये इशारे इश्क के बेबजह तो नहीं थे।
तुम्हारे कसमसाने का कोई तो मतलब रहा होगा।।
Dark Rider
06-02-2016, 07:59 PM
समझ सके तो समझ ज़िन्दगी की उलझन को
सवाल इतने नहीं हैं जवाब जितने हैं
VIKRAM1
07-02-2016, 12:16 AM
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले..बहुत निकले मगर मेरे अरमान दिल से लेकिन कम निकले..
निकलना खुल्द( स्वर्ग) से आदम का सुनते आये थे, हुआ मालुम तब , तेरे कूचे से जब हम निकले..
anita
07-02-2016, 12:17 AM
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले..बहुत निकले मगर मेरे अरमान दिल से लेकिन कम निकले..
निकलना खुल्द( स्वर्ग) से आदम का सुनते आये थे, हुआ मालुम तब , तेरे कूचे से जब हम निकले..
ग़ालिब साहब का बेहतरीन और उम्दा शेर
Dark Rider
07-02-2016, 06:24 AM
लाई हयात आए, क़ज़ा ले चली चले
अपनी ख़ुशी न आए, न अपनी ख़ुशी चले
हम सा भी अब बिसात पे कम होगा बद-क़मार
जो चाल हम चले वह बोह्त ही बुरी चले
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले
हो उम्र-ए-ख़िज़्र भी तो म’अलूम वक़्त-ए-मर्ग
हम क्या रहे यहां, अभी आए अभी चले
gill1313
07-02-2016, 04:09 PM
लाई हयात आए, क़ज़ा ले चली चले
अपनी ख़ुशी न आए, न अपनी ख़ुशी चले
हम सा भी अब बिसात पे कम होगा बद-क़मार
जो चाल हम चले वह बोह्त ही बुरी चले
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले
हो उम्र-ए-ख़िज़्र भी तो म’अलूम वक़्त-ए-मर्ग
हम क्या रहे यहां, अभी आए अभी चलेकैसे हैं मित्र मनोज जी
Dark Rider
07-02-2016, 05:49 PM
कैसे हैं मित्र मनोज जी
अच्छा हु जी :Ok Sign
Dark Rider
07-02-2016, 05:49 PM
उम्र जलवों में बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं
हर शब्-ए-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
चश्म-ए-साक़ी से पियो या लब-ए-सागर से पियो
बेख़ुदी आठों पहर हो ये ज़रूरी तो नहीं
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनके आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
शेख़ करता तो है मस्जिद में ख़ुदा को सजदे
उसके सजदों में असर हो ये ज़रूरी तो नहीं
सब की नज़रों में हो साक़ी ये ज़रूरी है मगर
सब पे साक़ी की नजर हो ये ज़रूरी तो नहीं
garima
10-02-2016, 12:46 PM
खामोशिया करदे ब्यान
तो अलग बात है।
कुछ दर्द ऐसे भी है
जो लफ्जो में उतारे नहीं जाते।
garima
10-02-2016, 12:49 PM
एक अहसास गुलाब सा
जिसने छुआ था मेरे मन को
आज वो बात नहीं
क्योंकि
कुछ तुम बदल गए कुछ हम भी बदल गए।
sanjaychatu
10-02-2016, 03:55 PM
खामोशिया करदे ब्यान
तो अलग बात है।
कुछ दर्द ऐसे भी है
जो लफ्जो में उतारे नहीं जाते।
वाह वाह जी , क्या बात है
दर्द की खामोशियो की निरीह चीत्कार को क्या खूब बयां किया
sanjaychatu
10-02-2016, 04:01 PM
एक अहसास गुलाब सा
जिसने छुआ था मेरे मन को
आज वो बात नहीं
क्योंकि
कुछ तुम बदल गए कुछ हम भी बदल गए।
वाह जी , वाह
कुछ तुम बदल गए कुछ हम भी बदल गए
न बदला तो "उनकी" छुवन के उस नशीले एहसास का जादू ,
जब भी याद आती है तो पलकें भारी कर जाती है।
दिल में एक हुक , होठो में मुस्कान छोड़ जाती है ,
(ब्रांड न्यूज़ है जी )
garima
10-02-2016, 04:50 PM
वाह वाह जी , क्या बात है
दर्द की खामोशियो की निरीह चीत्कार को क्या खूब बयां किया
धन्यवाद संजय जी
बात की गहराई समझने की समझ खूब है आपमें।
sanjaychatu
10-02-2016, 04:52 PM
हमने तो उनके इंतज़ार में दवाजे पे टांग रखी थी अपनी आँखे
"वो" आये और कॉल बेल का बटन समझ , दबा के चले गए
sanjaychatu
10-02-2016, 04:53 PM
धन्यवाद संजय जी
बात की गहराई समझने की समझ खूब है आपमें।
हर चीज की गहराई समझने के हम एक्सपर्ट है जी। स्पेशल कोर्स किया हुवा है
garima
10-02-2016, 05:39 PM
मैं लोगो से मुलाकातो के लम्हे याद रखती हु
मैं बाते भूल भी जाऊ तो लहजे याद रखती हु
जरा सा हट के चलती हु जमाने की रवायत से
कि जिनपे बोझ मैं डालू वो कन्धे याद रखती हु।
garima
10-02-2016, 05:42 PM
तू समझता है गर फिजूल मुझे
कर के हिम्मत जरा सा भूल मुझे
garima
11-02-2016, 12:20 PM
तन्हा रहने का भी अपना मजा है दोस्तों
यकीन होता है कोई छोड़कर नहीं जायगा
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की
vinod09
11-02-2016, 12:30 PM
तन्हा रहने का भी अपना मजा है दोस्तों
यकीन होता है कोई छोड़कर नहीं जायगा
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की
वाह !!!!!!!! सही कहा
garima
11-02-2016, 12:48 PM
किसी को अपना बनाने के लिए
हमारी सारी खुबिया भी कम पड़ जाती है
जबकि किसी को खोने के लिए
एक कमी ही काफी है।
garima
11-02-2016, 12:57 PM
तूफान में ताश का घर नहीं बनता।
रोने से बिगड़ा मुकद्दर नहीं बनता
दुनिया को जीतने का हौसला रखो
एक हार से कोई फ़कीर और
एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता
ajaythegoodguy
11-02-2016, 12:59 PM
डूबती कश्तियाँ थीं टूटते तारे थे कई
हम ही कुछ समझे नहीं वरना इशारे थे कई
ये अलग बात कि तिनके भी किनारा कर गए
डूबने वाले ने तो नाम पुकारे थे कई
ajaythegoodguy
11-02-2016, 01:06 PM
"हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया
रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया"
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हम तो समझे थे कि हम भूल गये हैं उनको
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
किस लिये जीते हैं हम किसके लिये जीते हैं
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया
ajaythegoodguy
11-02-2016, 01:10 PM
मेरे पैमाने में कुछ है उसके पैमाने में कुछ
देख साक़ी हो न जाए तेरे मैखाने में कुछ
ajaythegoodguy
11-02-2016, 01:12 PM
हालात मयक़दे के करवट बदल रहे हैं,
साक़ी बहक रहा है मयकश संभल रहे हैं ।
किसको बताएं कबसे, हम ज़िन्दगी के राही,
फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं ।
garima
11-02-2016, 02:49 PM
बहुत खूब अजय जी
बहुत अच्छा लिखा है।
garima
11-02-2016, 02:50 PM
इश्क मजबूर और नमुराद सही
फिर भी जालिम का बोल बाला है।
garima
11-02-2016, 02:52 PM
वहां तक तो साथ चलो जहा तक मुमकिन है।
जहा हालात बदलेंगे
वहा तुम भी बदल जाना।
garima
11-02-2016, 02:54 PM
एक मुलाकात उनसे यूँ भी हुई
वो निशब्द थे और शब्द हमारे पास भी नहीं थे।
ajaythegoodguy
11-02-2016, 06:04 PM
आप खुद ही अपनी अदाओं में ज़रा ग़ौर कीजिये
हम अर्ज़ करेंगे तो शिकायत होगी
fullmoon
13-02-2016, 05:19 PM
होता है अगर तो होने दो, मेरे क़त्ल का सौदा,
मालूम तो हो, बाज़ार में क्या कीमत है मेरी !!!
fullmoon
13-02-2016, 05:20 PM
ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की खवाईश थी....
उतना तो बना भी न था,जितना मिटा दिया गया हूँ....!!
fullmoon
13-02-2016, 05:21 PM
वो कल भी थी, आज भी है,आगे भी रहेगी...
मोहब्बत कोई तालीम तो नहीं ,जो पूरी हो जाए.....
fullmoon
13-02-2016, 05:26 PM
आदमी परख़ने की एक ये भी निशानी है..|
गुफ्तगू बता देती है कौन खानदानी है..|| "
fullmoon
13-02-2016, 05:27 PM
मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे
अपनी रजा मे अब तू रहना सिखा दे
fullmoon
13-02-2016, 05:29 PM
उलझा हुआ हूँ अभी तक उसकी बातों में,
अल्फ़ाज़ उसके आज भी मेरी ज़िंदगी मैं बहुत घुँघराले है....!!!
fullmoon
13-02-2016, 05:29 PM
परखता रहा उम्र भर, ताकत दवाओं की,
दंग रह गया देख कर, ताकत दुआओं की
fullmoon
13-02-2016, 05:30 PM
चलता रहूँगा मै पथ पर,
चलने में माहिर बन जाउंगा..
या तो मंज़िल मिल जायेगी,
या अच्छा मुसाफिर बन जाउंगा..
sanjaychatu
19-02-2016, 09:49 AM
खुदा की मुझपे नेमते बेशुमार हो जाये ,
गर आज फिर से उनकी नज़रो का दीदार हो जाये
garima
19-02-2016, 03:48 PM
खुदा की मुझपे नेमते बेशुमार हो जाये ,
गर आज फिर से उनकी नज़रो का दीदार हो जाये
अच्छा है जी।।।
sanjaychatu
25-02-2016, 11:48 AM
पलके भींगी हे , दिल रोया हे , पर लब मुस्कुराये हे।
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
मेरी खामोश तन्हाइयो ने आज फिर से मिलन के नग्मे गाये हे
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
ए दुनिया वालो , अपने मुह बंद कर लो नज़रे छुपा लो ,
बड़े शर्मीले हे वो , यादो में भी शरमाते हुवे आये हे
पलके भींगी हे , दिल रोया हे , पर लब मुस्कुराये हे।
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
garima
25-02-2016, 11:54 AM
पलके भींगी हे , दिल रोया हे , पर लब मुस्कुराये हे।
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
मेरी खामोश तन्हाइयो ने आज फिर से मिलन के नग्मे गाये हे
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
ए दुनिया वालो , अपने मुह बंद कर लो नज़रे छुपा लो ,
बड़े शर्मीले हे वो , यादो में भी शरमाते हुवे आये हे
पलके भींगी हे , दिल रोया हे , पर लब मुस्कुराये हे।
लगता हे फिर आज वो बड़ी शिद्दत से याद आये हे।
वाह जी वाह
बहुत प्यारा इमोशन्स को शब्दों में उतरा है ।आपने।
इस बात की गहराई मैंने बहुत अच्छे से समझी है।
Gautam Kumar
25-02-2016, 10:29 PM
अगर चलता रहा यूँही इनसे गुफ़्तगू का सिलसिला,
यकीनन एक दिन रातो को भी जागना सीखा देगे हम...
golldy
12-03-2016, 04:41 AM
खुद को पढता हूँ, फिर छोड़ देता हूँ,
रोज़ ज़िन्दगी का एक हर्फ़ मोड़ देता हूँ...
garima
26-03-2016, 06:42 PM
खुद को पढता हूँ, फिर छोड़ देता हूँ,
रोज़ ज़िन्दगी का एक हर्फ़ मोड़ देता हूँ...
बहुत खूब।।।।।।
garima
26-03-2016, 06:43 PM
अगर चलता रहा यूँही इनसे गुफ़्तगू का सिलसिला,
यकीनन एक दिन रातो को भी जागना सीखा देगे हम...
वैरी ट्रू।
।।।
navinc4u
05-04-2016, 12:35 AM
कहीं कोयला तो कहीं खदान बिक रहा है.
गोल गुम्बद में हिंदुस्तान बिक रहा है..
यूँ तो कागज गल जाता है पानी की एक बूँद से.
चंद कागज़ के नोटों में मगर ईमान बिक रहा है..
गुलामी का दौर चला गया कैसे कहें जनाब.
कहीं इंसानियत तो कहीं इंसान बिक रहा है..
आज की नयी नस्लें होश में रहती कब हैं..
कैंटीन में चाय के साथ नशे का सामान बिक रहा है..
आधुनिकता और कितना नंगा करेगी हमको..
बेटे के फ्लैट के लिए बाप का मकान बिक रहा है.
सीता को जन्म देने वाली धरती को क्या हो गया..
राम के देश में चाइना का हनुमान बिक रहा है..
navinc4u
05-04-2016, 12:39 AM
कैसे चुकाऊं किश्तें ख्वाहिशों की .. मुझ पर तो ज़रुरतों का भी एहसान चढा हुआ है ..!!
anita
05-04-2016, 12:42 AM
कैसे चुकाऊं किश्तें ख्वाहिशों की .. मुझ पर तो ज़रुरतों का भी एहसान चढा हुआ है ..!!
क्या बात है जनाब
बहुत खूब
fullmoon
21-05-2016, 11:00 PM
किसी के जख़्म का मरहम,
किसी के ग़म का इलाज़...!
लोगों ने बाँट रखा है मुझे,
दवा की तरह...!!
fullmoon
21-05-2016, 11:02 PM
ताल्लुक कौन रखता है किसी नाकाम से
लेकिन
मिले जो कामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं
fullmoon
21-05-2016, 11:03 PM
घर की जरूरतों के मुताबिक़ ढल गया हूँ मैं
जंजीरों में बंधा हूँ पर फिर भी चल रहा हूँ मैं।
fullmoon
21-05-2016, 11:04 PM
"इबादत में न हो गर फायदा तो यूं भी होता है,
हर नई मन्नत पर दरगाहें बदल जाती हैं...!!!"
fullmoon
21-05-2016, 11:05 PM
दायरा हर बार बनाता हूँ जिंदगी के लिए
लकीरें वहीँ रहती हे मै खिसक जाता हूँ"..
fullmoon
21-05-2016, 11:07 PM
कोई तो है जो फैसला करता है पत्थरों के मुकद्दर का,
किसे ठोकरों पे रखना है किसे भगवान होना है...
anita
21-05-2016, 11:09 PM
दायरा हर बार बनाता हूँ जिंदगी के लिए
लकीरें वहीँ रहती हे मै खिसक जाता हूँ"..
सच्चाई है ये जिन्दगी की
अच्छा शेर है
fullmoon
21-05-2016, 11:10 PM
ढूंढ लेगी दुनिया मुझे कभी तो भीड़ में,
खोने चला हूँ खुद को इस उम्मीद में...!
fullmoon
21-05-2016, 11:10 PM
बड़ा अजीब जहर था उसकी यादो में
मुझे पूरी उम्र लग गई मरते मरते....
fullmoon
21-05-2016, 11:11 PM
सच्चाई है ये जिन्दगी की
अच्छा शेर है
जी हां
मेरे पसंदीदा शेरों में से एक
fullmoon
21-05-2016, 11:12 PM
हमसे बिछड़ के वहाँ से एक पानी की बूँद ना निकली
तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील कहते रहे...!!
fullmoon
21-05-2016, 11:14 PM
सफ़र में चलता रहा मैं बगैर रास्ते के,
तेरे वजूद की ख़ुशबू ही मेरी मंजिल थी!
fullmoon
21-05-2016, 11:14 PM
जन्नत का हर लम्हा
दीदार किया था ।।
:
माँ तूने गोद मे उठा कर
जब प्यार किया था | |
anita
21-05-2016, 11:15 PM
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी
fullmoon
21-05-2016, 11:17 PM
अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी
कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी
शकील आज़मी
बहुत अच्छा शेर
आप विश्वास नही करेंगी मैं अगली पोस्ट में यही शेर लिखने जा रहा था
anita
21-05-2016, 11:20 PM
बहुत अच्छा शेर
आप विश्वास नही करेंगी मैं अगली पोस्ट में यही शेर लिखने जा रहा था
इसे ही संयोग कहते है
मेरी पसंद के शेर है ये
कामयाबी मिलना बहुत आसान है पर उसे संभाल कर रखना बहुत मुश्किल और कामयाबी के साथ अच्छा व्यव्हार भी बनाये रखना मुश्किल है
anita
21-05-2016, 11:22 PM
सुबह होती है शाम होती है
उम्र यूँही तमाम होती है
अमीरुल्लाह तस्लीम
prem_sagar
21-05-2016, 11:33 PM
Wow .... .....
anita
21-05-2016, 11:42 PM
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर
gurlal singh
27-05-2016, 01:37 PM
महफ़िल में तेरी पड़े है पैमानें कई।
लगता है मुझसे पहले भी आये है दीवाने कई।।
लडखडा के गिरा होगा कोई सरूर में।
जुल्फ से उतरे हैं ख़म तेरे बिस्तर के सिरहाने कई।।
तेरी आँखो में झिलमिलाते हैं गम के चिराग ।
मेरे भी दर्द से रिश्ते हैं पुराने कई।।
खाके कसम,वाह ये इकरार करने की अदा।
सुबूत है के तीर एक था और रहे है निशाने कई।।
दिल में उगें गर वफ़ा के चाँद और सूरज।
आतिशे जिस्म बुझाने के हैं और भी बहाने कई।।दवा से और भी बढ़ता है मर्ज-ए-हवस-ए-इश्क।
खानाबदोश होते हैं वो,होते हैं जिनके आशियाने कई।